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एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने मुंबई में आज यह ऐलान करके चौंका दिया कि वह पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ना चाहते हैं। अपनी आत्मकथा के विमोचन के दौरान शरद पवार ने यह ऐलान किया तो हंगामा मच गया। एनसीपी के कार्यकर्ता और नेता भावुक हो गए और तुरंत उसी ऑडिटोरियम में शरद पवार को सब घेर कर बैठ गए, जहां उन्होंने इस्तीफे का ऐलान किया था। एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष जयंत पाटिल तो रोते हुए कहने लगे कि शरद पवार ही पार्टी हैं और वही हमारे नेता हैं। किसी समिति की जरूरत नहीं है और वही अध्यक्ष बने रहें। उनके अलावा छगन भुजबल, अनिल देशमुख, जितेंद्र अव्हाण जैसे नेता भी बेहद भावुक दिखे।
शरद पवार के ऐलान को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर उन्होंने एक ही साल के अंदर यह फैसला क्यों लिया, जब सितंबर 2022 में ही वह फिर से अध्यक्ष चुने गए थे। उन्हें अध्यक्ष का कार्यकाल 4 साल के लिए मिला था। तब शरद पवार ने यह भी नहीं कहा था कि यह उनकी अध्यक्ष के तौर पर आखिरी पारी होगी। ऐसे में शरद पवार के नेतृत्व छोड़ने के फैसले से सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी क्या मजबूरी है, जिसके चलते उन्होंने अध्यक्ष पद से हटने का फैसला लिया है। एनसीपी के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह शरद पवार का पावर शो भी हो सकता है।
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दरअसल अजित पवार के लगातार भाजपा के साथ जाने की अटकलें लग रही हैं और बड़ी संख्या में विधायकों को तोड़ने के भी कयास थे। साफ है कि एनसीपी के टूटने का ही संकट दिख रहा था और माना जा रहा है कि शरद पवार ने ऐसी स्थिति में अपनी ताकत दिखाने का यह प्रयास किया है। उन्होंने अपने इस्तीफे के दांव से यह दिखा दिया कि कितने नेता उनके साथ हैं और कैसे कार्यकर्ता उनके नाम पर भावुक हैं। ऐसी स्थिति में अजित पवार का अगला कदम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।
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शरद पवार का ऐलान से ज्यादा दांव, आगे क्या होगा
शरद पवार 2014 में भी चुनाव ना लड़ने और नए नेतृत्व को मौका देने की बात कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी वह पार्टी की सत्ता में बने रहे। इससे भी शरद पवार के ऐलान को फैसले से ज्यादा एक दांव ही माना जा रहा है। दरअसल शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में भी लिखा है कि 2019 में अजित पवार के देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेने से उन्हें झटका लगा था। यही नहीं उन्होंने पिछले दिनों अजित पवार के सवाल पर यह भी कहा था कि यदि कोई एनसीपी से अलग जाना चाहता है तो यह उसका फैसला है। हम जो भी ऐक्शन लेंगे, वह सख्त होगा।
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एनसीपी चीफ के ऐलान के बाद पार्टी के नेता रोते हुए दिखे। लेकिन अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेताओं का सुर थोड़ा अलग नजर आया। अजित पवार ने तो साफ कहा कि नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए और वह शरद पवार के मार्गदर्शन में ही काम करेगा। अजित पवार ने कहा कि भावुक होकर शरद पवार ने फैसला वापस लेने की बात करना ठीक नहीं है। नया अध्यक्ष जो भी होगा, वह भी जिम्मेदारी संभालेगा। शरद पवार की विरासत आगे बढ़ेगी। पार्टी का कोई भी अध्यक्ष हो, शरद पवार के नेतृत्व के बिना कोई काम नहीं हो सकता।
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