रामकुमार नायक/रायपुर. सनातन धर्म और पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर को सूर्य वृश्चिक राशि की यात्रा को समाप्त करते हुए धनु राशि में प्रवेश करेंगे. धनु राशि में सूर्य देव का प्रवेश धनु संक्रांति कहलाती है. धनु राशि में सूर्य गोचर धनुर्मास कहलाता है. धनुर्मास के एक माह तक शादी-विवाह, सगाई, फलदान, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के पंचांग में सूर्य, चंद्र समेत अन्य ग्रहों का गमन वर्णित है. सूर्य भगवान 12 राशियों में एक-एक महीने के लिए भ्रमण करते हैं. जिस दिन भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं उसे धनुर्मास कहते हैं. इसे खरमास भी कहा जाता है. धनु राशि का स्वामी गुरु है. गुरु ग्रह की राशि में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो इस दिन से लेकर जब तक धनु राशि में सूर्यदेव विराजमान रहते हैं तब तक को खरमास कहते हैं.
मांगलिक काम लगता है विराम
ज्योतिषाचार्य ने आगे बताया कि इस बीच किसी भी तरह का विवाह, सगाई, फलदान, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों में विराम लग जाता है. जिस दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं यानी मकर संक्रांति के बाद पुनः मांगलिक कार्य संपन्न होंगे. खरमास में विशेष करके भगवान सूर्यदेव की उपासना करना चाहिए. सूर्यदेव को नित्य अर्घ्य देना चाहिए जिससे भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर हमारे घर में सुख शांति, संपत्ति, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 6, 2023, 14:16 IST