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ईशा योग केंद्र में सद्गुरु का महाशिवरात्रि समारोह धूमधाम से शुरू – India TV Hindi

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ईशा योग केंद्र में सद्गुरु का महाशिवरात्रि समारोह

कोयंबटूर : सदगुरु के ईशा योग केंद्र में “काशी” थीम पर आधारित महाशिवरात्रि समारोह धूमधाम से शुरू हो गया है। इस समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए। तमिलनाडु के कोयंबटूर में सदगुरु के आश्रम में महाशिवरात्रि का आयोजन काफी मशहूर है। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। 

इस अवसर पर अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि समारोह भाषा, राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति से परे है। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा दुनिया के लिए एक बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि यहां कि विधियां अद्वितिय हैं, जिनमें भक्ति, क्रिया, कर्म और ज्ञान ये चार मार्ग बताए गए हैं। यह व्यापक दृष्टिकोण धरती के हर व्यक्ति की प्यास और चिंता को संतुष्ट करता है।

सदगुरु के प्रयासों की तारीफ करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा,एक विभाजित और रोगी दुनिया में सद्गुरु करुणा और समावेशिता पैदा करते हैं। उनका ध्यान मानवता और धरती से जुड़े जमीनी मुद्दों पर रहा है  जिसके चलते हर जगह उनकी प्रशंसा हुई है। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल थिरू आरएन रवि, त्रिपुरा के माननीय राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी, पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और केंद्र सरकार में मंत्री थिरु एल मुरुगन भी शामिल हुए। समारोह की शुरुआत लिंग भैरवी उत्सव मूर्ति जुलूस और महा आरती के साथ हुई। बाद में, सद्गुरु ने कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।

Sadguru, Isha yog kendra

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ईशा योग केंद्र में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत करते सद्गुरु

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यह मेरे जीवन का एक दुर्लभ क्षण है! मैं दिव्य अनुभूति कर रहा हूं।  ये उत्सव अद्वितीय, अविस्मरणीय हैं! उपराष्ट्रपति ने कहा कि ईशा योग केंद्र में महा शिवरात्रि समारोह का हिस्सा बनना एक पूर्ण विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। बता दें कि शुक्रवार शाम 6 बजे शुरू हुआ यह समारोह  9 मार्च को सुबह 6 बजे तक जारी रहेगा।

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए सद्गुरु ने महाशिवरात्रि उत्सव की 30 साल की यात्रा से जुड़ी बातें शेयर की। उन्होंने कहा कि 1994 में करीब 70 लोग थे और उसमें एक महिला थी जो केवल दो गाने जानती थी। रात भर उसने वहीं दो गाने गए। लेकिन हम भगवान शिव की भक्ति में इतने पागल थे कि हमने पूरी रात नृत्य और ध्यान किया और सिर्फ उसी दो गाने के साथ जश्न मनाया। और अब 30 साल बाद सबकुछ बदल हुआ है। सद्गुरु ने बताया कि महाशिवरात्रि की रात में ऊर्जा का एक प्राकृतिक उभार होता है, जिसका उपयोग करने का सौभाग्य केवल मनुष्य को मिलता है।

 

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