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उत्तर सागर में उतरा रूस का जासूसी जहाज, यूक्रेन से पश्चिम तक खलबली

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उत्तर सागर में उतरा रूस का जासूसी जहाज, यूक्रेन से पश्चिम तक खलबली

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प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi

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प्रतीकात्मक फोटो

उत्तर सागर में रूस ने अपना जासूसी जहाज उतारकर यूक्रेन से पश्चिम तक खलबली मचा दी है। स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड और नार्वे में सार्वजनिक प्रसारणकर्ताओं के एक समूह ने एक नया वृत्तचित्र तैयार किया है, जिसमें उत्तर सागर एवं बाल्टिक क्षेत्र में समुद्री ऊर्जा व डेटा बुनियादी ढांचे को एक जबरदस्त खतरा होने की बात सामने आई है। इस छद्म युद्ध में रूसी अनुसंधान पोत एडमिरल व्लादीमिर्स्की की एक फुटेज शामिल है, जिसमें पवन चक्कियों, गैस पाइपलाइन, ऊर्जा और इंटरनेट केबल से कथित तौर पर डेटा एकत्र किया जा रहा है।

समूह ने कहा है कि रूस उत्तर सागर में समुद्री बुनियादी ढांचे के खतरे की व्यवस्थित रूप से ‘मैपिंग’ कर रहा है। यह रूस को कमजोर बिंदुओं के बारे में जानकारी जुटाने में मदद करेगा, जैसे कि वे स्थान जहां जल के नीचे ऊर्जा और डेटा केबल एक दूसरे को पार करते हैं, जो हमले का आसान निशाना बन सकते हैं। इस हफ्ते ब्रिटिश प्रेस में आई खबरों में समुद्री सुरक्षा विशेषज्ञों ने ऐसी कोई बात नहीं कही है जो पहले से जानकारी में नहीं है। हम लंबे समय से जानते हैं कि रूसी सैन्य बल पवन चक्कियों, संचार केबल और पाइपलाइन सहित समुद्री बुनियादी ढांचे पर नजर रखे हुए हैं।

क्रीमिया पर कब्जे के बाद तेज हुई थी गतिविधियां

1990 और 2000 के दशकों में, जब उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) कुछ सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग कर रहा था, तब नार्डिक जल क्षेत्र में रूसी जासूसी गतिविधियां कभी नहीं रोकी गईं। 2013 में मुझे एक रॉयल नेवी के पोत से उत्तर सागर ले जाया गया, जहां उसके मिशन का एक कार्य रूसी जासूसी जहाजों का पता लगाना था। हालांकि, 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किये जाने के बाद से ये गतिविधियां तेज हो गईं। आयरिश,पुर्तगाली और भूमध्यसागरीय जल क्षेत्र सहित पूरे यूरोपीय जल क्षेत्र में रूसी पोत जासूसी गतिविधियों में लिप्त देखे गये हैं।

नॉर्ड स्ट्रीम को नुकसान पहुंचाया जाना: सितंबर 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाया गया, इस घटना के तहत बाल्टिक सागर में मुख्य ऊर्जा पाइपलाइन को नष्ट कर दिया गया था, जिसने पश्चिमी देशों में चिंता पैदा की। इस घटना के दोषियों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। लेकिन हालिया रिपोर्ट में यह प्रदर्शित हुआ है कि ये चिंताएं वाजिब हैं।

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