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देखा जाए तो, द्रमुक की युवा शाखा के नेता और युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन, अपनी फिल्म मामन्नन के गुस्सैल नायक अथिवीरन की ही तरह हैं. उन्होंने घोषणा की कि उनकी फिल्म डीएमके सहित तमाम राजनीतिक संगठनों में ‘चक्कर के अंदर चक्कर’ (यानी एक ऐसी व्यवस्था जो इतनी जटिल है कि उससे निपटना मुश्किल है, क्योंकि इसमें कई चीजें शामिल हैं) के तौर पर काम करने वाले जातिवाद को दिखाती है. यह उनकी आखिरी फिल्म थी क्योंकि उन्हें खुद को पूरी तरह से राजनीति को समर्पित करना था.
द हिंदू में प्रकाशित लेख के अनुसार फिल्म यह भी बताती है कि सुधार आंदोलनों और छह दशकों से अधिक समय तक द्रविड़ पार्टियों का शासन होने के बावजूद तमिल समाज में जाति ने आज भी जगह बनाई हुई है. यहीं संदेश उदयनिधि का भी है, हालांकि वह अच्छी तरह से जानते हैं कि मध्यवर्ती समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाला पार्टी नेतृत्व फिल्म के दलित-समर्थक विषय से खुश नहीं होने वाला.
अपने दादा की तरह स्पष्टवादी
उदयनिधि विचारों में, अपने दादा और दिवंगत मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि – जिन्हें कलैगनार के नाम से जाना जाता है – की तरह स्पष्टवादी हैं और किसी भी विषय पर तुरंत बोलने का माद्दा रखते हैं. मीडिया के कठिन और उलझन में डालने वाले सवालों का भी वह आसानी से जवाब दे सकते थे. लेकिन जब विवादास्पद मुद्दों पर विचार व्यक्त करने की बात आती हैं तो उनमें अपने दादा वाली बारीकी की कमी नजर आती है. करुणानिधि ने अतीत में हिंदू देवी-देवताओं और प्रथाओं पर अपने बयानों से आलोचना झेली है लेकिन उदयनिधि के मामले में, हो सकता है कि वह जानबूझकर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर कुछ लाभ हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हों.
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पीएम मोदी और उनके मंत्रियों पर साधा निशाना
द्रमुक और उसके पैतृक संगठन द्रविड़ कड़गम की स्थापना पेरियार ने की थी जो घोषित नास्तिक थे और उन्होंने कभी भी सनातन धर्म को लेकर अपने विरोध को छुपाया नहीं. लेकिन भारतीय राजनीति में भाजपा के पैर जमाने के बाद स्थिति बदल गई और सनातन धर्म पर उदयनिधि की टिप्पणियों की तीखी आलोचना की गई. हालाकि, आलोचनाओं के बावजूद, वह अपनी बात पर कायम हैं. अपने हालिया बयान में, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों पर मणिपुर में हत्याओं और सीएजी द्वारा अपनी रिपोर्ट में बताई गई 7.5 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उछालने का आरोप लगाया.
फिल्म-तमिल राजनीति में एक सशक्त माध्यम
हालांकि पिता एम.के. स्टालिन ने कहा था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं आएगा, लेकिन उदयनिधि राजनीति के सागर में गोता लगाने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने फिल्म बनाई और उसमें अभिनय किया, क्योंकि ये हमेशा तमिलनाडु की राजनीति में एक सशक्त माध्यम रहा है. हालांकि द्रमुक नेता सी.एन. अन्नादुराई और करुणानिधि की फिल्में जहां पूरी तरह सामाजिक सुधारों पर राजनीतिक संदेशों से लैस होती थीं, वहीं उदयनिधि की फिल्में मनोरंजन के लिहाज से बनी होती हैं जिससे उन्हें वह लोकप्रियता मिली जिसकी उन्हें दरकार थी. और उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों में भी भाग लेना शुरू कर दिया.
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राजनीति में प्रवेश
2018 में द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में उदयनिधि ने आश्चर्य जताते हुए कहा था, ”मैं राजनीति से बच नहीं सकता क्योंकि मेरा जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ है. क्या मैं किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो सकता हूं.” उनका यह भी मानना था कि पारिवारिक-संबंध फायदेमंद होने के बजाय नुकसानदेह साबित हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “मेरे मामले में, मुझे हमेशा एक राजनीतिक परिवार के वंशज के रूप में देखा जाएगा और किसी भी तरह की पहचान का श्रेय मेरे पारिवारिक संबंधों को दिया जाएगा न कि मेरे काम को.”
बने युवा शाखा के सचिव
2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने अपने हाथ में एक ईंट पकड़कर, द्रमुक और उसके सहयोगियों के लिए प्रचार किया. वह बता रहे थे कि भाजपा सरकार ने मदुरै में एम्स की नींव रखने से ज्यादा कुछ नहीं किया. उन्होंने राज्य का तूफानी दौरा किया. चुनावों में डीएमके गठबंधन को तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटें हासिल हुई. इससे उनके राजनीतिक प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके बाद, उन्हें DMK की युवा शाखा का सचिव नियुक्त किया गया.
विधायक बने, फिर मंत्री भी
तब भी यह साफ नहीं था कि उन्हें 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा जाएगा या नहीं. ऐसा माना जाता था कि 10 साल के अंतराल के बाद चुनाव जीतने के लिए बेताब श्री स्टालिन इंतजार करने के लिए तैयार थे. लेकिन उदयनिधि ने पार्टी संगठन पर उसी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया है, जिस तरह एम.के. स्टालिन ने अपने पिता के समय में किया था. उन्हें सबसे छोटे निर्वाचन क्षेत्र ट्रिप्लिकेन-चेपॉक से मैदान में उतारा गया, ताकि वह पूरे राज्य में प्रचार कर सकें. द्रमुक को भारी बहुमत मिला. स्टालिन ने तुरंत उन्हें कैबिनेट पद की पेशकश नहीं की. आखिरकार दिसंबर 2022 में उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया.
मूल्यों को बरकरार रखे हुए हैं
परिवारों द्वारा चलाए जाने वाले अधिकांश क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में, द्रमुक अपवाद नहीं है. लेकिन एक बात साफ है. ऐसे समय में जब क्षेत्रीय दलों को वैचारिक स्पष्टता की जरूरत है, उदयनिधि द्रविड़ आंदोलन के मूल मूल्यों के अवशेषों को बरकरार रखते हुए नजर आते हैं. हालांकि अक्सर इसका उल्टा असर होता है. लेकिन वह आलोचनाओं से घबराते नहीं दिखते. अब ऐसे में इंतज़ार करना होगा कि, क्या वह मामन्नन के अथिवीरन बने रहेंगे, जो अन्याय पर अपना गुस्सा निकालता हैं, या समझौता करेंगे.
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Tags: DMK, MK Stalin, Tamilnadu
FIRST PUBLISHED : September 12, 2023, 17:46 IST
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