Home National उदयपुर में महका रावण की लंका का यह दुर्लभ पेड़, औषधीय गुणों से है भरपूर, हेमपुष्पा भी कहा जाता है

उदयपुर में महका रावण की लंका का यह दुर्लभ पेड़, औषधीय गुणों से है भरपूर, हेमपुष्पा भी कहा जाता है

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उदयपुर में महका रावण की लंका का यह दुर्लभ पेड़, औषधीय गुणों से है भरपूर, हेमपुष्पा भी कहा जाता है

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हाइलाइट्स

यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है
झीलों की नगरी उदयपुर में है इसके कुछ पेड़
इसके पुष्प, पत्तियों, छाल और फलों का उपयोग दवाइयों में होता है

उदयपुर. रावण की लंका में स्थित अशोक वाटिका का वह वृक्ष जिसकी छांव तले बैठने तथा उसके फूलों की महक से सीता माता के शोक का हरण हुआ था वह वृक्ष सीता अशोक (Saraca indica) इन दिनों उदयपुर (Udaipur) जिले में भी अपनी मोहक आभा बिखेर रहा है. दुर्लभ और औषधीय गुणों से युक्त यह वृक्ष उदयपुर शहर में कुछ स्थानों पर अपनी पूरे सौंदर्य के साथ पुष्पित हो चुका है और लोगों को आकर्षित कर रहा है. सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक वीएस राणा इस दुर्लभ वृक्ष के बीजों से पौधे तैयार कर शहर में कई स्थानों पर रोपित कर इसकी वंशवृद्धि के कार्य में लगे हुए हैं.

वर्तमान में सीता-अशोक नामक यह दुर्लभ वृक्ष राणा के हिरण मगरी सेक्टर 6 स्थित निवास के साथ ही कुछ अन्य स्थानों पर भी पुष्पित हुआ है. करीब 12 साल पहले रोपे गए इस वृक्ष पर खिले नारंगी-लाल रंगों की फूलों की आभा देखते ही बन रही है. इसके अलावा 2 पेड़ आरसीए और एक स्वरूपसागर में इन दिनों पुष्पित होकर अपनी मनोहारी आभा बिखेर रहा है. राणा ने गत वर्षों में अपने निवास पर स्थित पेड़ से बीजों को संकलित कर एक दर्जन से अधिक पौधे तैयार कर शहर में विभिन्न लोगों को भी वितरित किए हैं.

औषधीय गुणों से युक्त है सीता अशोक
पर्यावरणीय विषयों के जानकारों के अनुसार यही असली अशोक वृक्ष है. उदयपुर जिले में ऐसे कुछ ही वृक्ष हैं. इसके पुष्प, पत्तियों, छाल और फलों का उपयोग कई प्रकार की औषधियों के रूप में होता है. अशोक का फूल, छाल और मूल नाना प्रकार के औषधियां बनाने में काम आते हैं. विशेषकर महिलाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार व्याधियों में अशोक के औषधीय गुण सर्व स्वीकृत है. अशोकासव और अशोकारिष्ट औषधियां अशोक से ही बनती हैं.

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इसे ‘हेमपुष्पा’ भी कहा जाता है
सीता अशोक शो प्लांट के रूप में लगाए जाने वाले लंबे अशोक से भिन्न हैं. यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है. इसके पत्ते 8-9 इंच लंबे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं. इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे रंग के होते हैं. इसीलिए इसे ‘ताम्रपल्लव’ भी कहते हैं. इसके नारंगी रंग के फूल वसंत ऋतु में आते हैं जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं. सुनहरी लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे ‘हेमपुष्पा’ भी कहा जाता है.

Tags: Environment news, Rajasthan news, Tree, Udaipur news

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