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महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार की लोकप्रियता के विज्ञापन को लेकर भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच तनाव देखने को मिला है। अब इस मसले में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की भी एंट्री हो गई है। इस विज्ञापन में शिवसेना के संस्थापक रहे बाल ठाकरे की तस्वीर न होने पर उद्धव गुट ने एकनाथ शिंदे को दिल्ली का गुलाम बताया है। शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के से बाल ठाकरे की तस्वीर ही नहीं लगाई। दावा किया गया कि वह दिल्ली के गुलाम हैं और डर के मारे शिवसेना के संस्थापक को ही भूल गए।
दरअसल महाराष्ट्र के प्रमुख अखबारों में मंगलवार को एक विज्ञापन छपा था। इस ऐड में एक सर्वे का हवाला दिया गया है, जिसमें लोकप्रियता के मामले में एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से आगे दिखाया गया है। इसे विज्ञापन के चलते भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच खींचतान पैदा हो गई थी। इस पर एकनाथ शिंदे गुट ने सफाई भी दी है और हम साथ-साथ हैं की बात कहकर विवाद खत्म करने की कोशिश की है। विज्ञापन में फडणवीस की तस्वीर नहीं थी, जबकि इसकी ‘टैगलाइन’ थी ‘देश में मोदी, महाराष्ट्र में शिंदे।’
अब उद्धव गुट वाली शिवसेना ने मुखपत्र के संपादकीय में कहा, ‘फडणवीस को झटका देने और बाल ठाकरे को नजरअंदाज करने के पीछे क्या मंशा थी? विज्ञापन कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि तथ्य यह है कि जो (असली) शिवसेना होने का दावा करते हैं, उन्होंने अपने गुट को मोदी के चरणों में रख दिया है।’ इसमें कहा गया है कि विज्ञापन बताता है कि ‘बाल ठाकरे कुछ नहीं हैं और मोदी सब कुछ हैं।’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में भाजपा के अभियान ‘देश में नरेंद्र और राज्य में देवेंद्र’ का भी उल्लेख किया गया है।
‘जो बालासाहेब के नहीं हुए, वे मोदी के क्या होंगे’
संपादकीय में आरोप लगाया गया, ‘शिंदे गुट दिल्ली के शासकों का गुलाम बन गया है। यह इतना नीचे गिर गया है कि मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के डर से बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर हटा दी गई। ऐसे डरपोक लोग खुद को शिवसेना और बाल ठाकरे की विरासत का उत्तराधिकारी कैसे कह सकते हैं?’ संपादकीय में यह भी सवाल किया गया कि ‘जो बालासाहेब के नहीं हुए, वे मोदी का क्या होंगे?’
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