Saturday, January 11, 2025
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एंड्रॉइड में होगा बड़ा बदलाव! अपनी पसंद के सर्च इंजन को कर पाएंगे इस्तेमाल


नई दिल्ली। गूगल लंबे समय तक दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजार भारत में एंड्रॉइड के जरिए राज करता रहा है। सिर्फ यूजर्स ही नहीं, बल्कि ऐप डेवलपर्स को भी गूगल के रूलबुक के साथ काम करना पड़ा। इस हफ्ते सब कुछ बदल गया। बीते हफ्ते भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक बड़े झटके का सामना करने के बाद Google ने बुधवार को भारत में एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म के लिए अपने नियमों में बदलाव किया। ये बड़े बदलाव इस बात का परिणाम हैं कि कैसे देश धीरे-धीरे Google जैसे प्लेटफार्मों को टेक स्पेस में बदलाव कर रही है। यहां हम आपको उन बड़ी वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे भारत में एंड्रॉइड में बदलाव होगा।

एंड्रॉइड फोन पर डिफॉल्ट सर्च इंजन का चयन
Google अब भारत में एंड्रॉइड यूजर्स को नया स्मार्टफोन सेट करते समय अपना खुद का सर्च इंजन चुनने के लिए कहेगा। फिलहाल यूजर्स एंड्रॉइड पर एक अलग सर्च इंजन का ऑप्शन चुन सकते हैं, लेकिन उन्हें सेटिंग मेन्यू के अंदर से ऑप्शन सर्च करना होगा।

नया ऑप्शन हर किसी को डिवाइस सेट करते समय अपनी पसंद के सर्च इंजन जैसे बिंग या डकडकगो का इस्तेमाल करने देगा। Google ने यूरोपीयन कमिशन के एक फैसले के बाद यूरोप में इसी तरह के बदलाव पेश किए। उस समय Google ने कहा था कि जो सर्च इंजन लिस्टेड होना चाहते हैं, उन्हें च्वाइस स्क्रीन में आने के लिए नियमों का पालन करना होगा।

भारत मे Google ने यह नहीं कहा है कि वह राइवल सर्च इंजन्स के लिए सबकुछ खुला छोड़ेगा जैसा कि उसने यूरोप में किया गया था। यह जरूरी है क्योंकि यूरोप में इकोसिया और क्वांट जैसी कई छोटी कंपनियों के अलावा भारत में Google के राइवल नहीं हैं।

फोर्क्ड ऑपरेटिंग सिस्टम वेरिएंट के लिए एक्सटेंड सपोर्ट:
स्मार्टफोन निर्माताओं के पास अब एंड्रॉइड के पसंद के फोर्क्ड वर्जन बनाने का ऑप्शन होगा। इससे एक बड़ा बदलाव जिससे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में और ज्यादा कॉम्पिटिशन आ सकता है। इस कदम से सरकार के स्वामित्व वाले IIT-मद्रास में शुरू किए गए एक स्टार्टअप द्वारा स्थानीय रूप से तैयार किए गए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल के एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है।

Android फोर्क्स को बैन करने के लिए पहले Google की आलोचना की गई थी। 2021 में फोन निर्माताओं को Android के कस्टमाइज वर्जन का इस्तेमला करने से रोकने के लिए Google पर साउथ कोरिया में 207.4 बिलियन वोन का जुर्माना लगाया गया था। कोरिया फेयर ट्रेड कमीशन ने Google पर निर्माताओं के साथ एंटी-फ्रिगमेंशन एग्रीमेंट (AFA) पर साइन करने का आरोप लगाया था, जिसने उन्हें ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलाव करने से रोक दिया था।

एंड्रॉइड एक ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है। अगर कोई फोन निर्माता AFA पर साइन करता है तो उसे Google के नियमों का पालन करना होगा। इस तरह सैमसंग जैसा निर्माता एंड्रॉइड का फोर्क्ड वर्जन पेश नहीं कर सकता है, भले ही वे इसे नॉन-गैलेक्सी स्मार्टफोन सीरीज में पेश करना चाहते हों।

अब अलग-अलग Google ऐप्स को लाइसेंस दे सकते हैं स्मार्टफोन निर्माता:
हालांकि यह यूजर्स को ज्यादा प्रभावित नहीं करता है, भारत में फोन निर्माता अब निजी तौर Google ऐप्स को लाइसेंस देंगे। यह देश में बिकने वाले स्मार्टफोन में जीमेल, गूगल मैप्स और गूगल प्ले स्टोर को इंस्टॉल करने के लिए लाइसेंस, गूगल मोबाइल सर्विसेज (जीएमएस) को चुनने की कंपनी की पॉलिसी में है। Google का कहना है कि यह स्मार्टफोन निर्माताओं को “लाइसेंस इंडिविजुअल Google ऐप्स” को अपने डिवाइसेज पर प्रीइंस्टॉल करने देगा।

अगर Xiaomi एक सुपर किफायती स्मार्टफोन लॉन्च करना चाहता है तो वह डिवाइस को सिर्फ Google सर्च ऐप के साथ शिप कर सकता है। इस तरह हैंडसेट की कीमत कम करने में मदद करता है। यह कंपनियों को 3 हजार रुपये से कम कीमत वाले एंड्रॉइड स्मार्टफोन लॉन्च करने दे सकता है जो कि जीएमएस की एक्स्ट्रा कॉस्ट के चलते पहले संभव नहीं था, जिससे भारत में अल्ट्रा-किफायती फोन के लिए एक नया मार्केट खुला।

इन नए नियमों के चलते अन्य कंपनियां फिर से स्मार्टफोन बिजनेस में आने के लिए प्रोत्साहित हो सकती हैं और सस्ते दामों पर डिवाइस पेश कर सकते हैं। Google को अभी भी लाभ होगा आखिरकार इसे अपनी मोबाइल सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए निर्माताओं से लाइसेंस चार्ज मिलेगा। सभी Google सर्विस को उसकी सर्च के जैसा डिजाइन किया गया है।

ऐप्स की साइड लोडिंग और थर्ड पार्टी बिलिंग:
Google Play Store के अलावा अन्य सोर्सेज से ऐप्स इंस्टॉल करना एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर हमेशा उपलब्ध रहा है। अब यूजर्स उन ऐप्स को ऑटोमैटिकली अपडेट करने में कामयाब होंगे, जिन्हें साइडलोड किया गया है। इससे थर्ड पार्टी ऐप स्टोर उसी प्रकार ऑटोमैटिकली ऐप अपडेट जारी करने में सक्षम होंगे जैसे कि Play Store वर्तमान में करता है। Google ने वार्निंग दी है कि यूजर्स को पहले थर्ड पार्टी सोर्सेज को फीचर को चालू करने से पहले खुद अपडेट इंस्टॉल करने की परमिशन के साथ सिक्योरिटी रिस्क को अपनाना होगा।

Google भारत में यूजर्स को इन-ऐप खरीदारी करते हुए Google Play के अलावा एक बिलिंग सिस्टम चुनने में मदद कर रहा है, जिससे ऐप और गेम डेवलपर्स को लाभ हो सकता है, जिन्हें काफी फायदा होगा। बीते साल गूगल ने एक पायलट का ऐलान किया था जो Spotify को अपने खुद के पेमेंट सिस्टम के तौर पर एंड्रॉइड पर स्टैंडर्ड Google Play बिलिंग को बायपास करने की अनुमति देगा, जिसके लिए Google अभी भी सर्विस चार्ज लेगा।



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