What is liver tumor: अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ को लिवर में ट्यूमर हो गया है. इसके लिए उसके पति अभिनेता शोएब इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश लिखा है. शोएब ने बताया दीपिका को पेट में परेशानी थी. पहले उसे लगा कि एसिडिटी है लेकिन बाद में डॉक्टरों से चेक कराने के बाद पता चला है कि उसके पेट में लिवर ट्यूमर है. आखिर ये लिवर ट्यूमर क्या होता है. क्या लिवर में ट्यूमर कैंसर ही है या कुछ और बीमारी. क्या यह ठीक होने वाली बीमारी है या अगर कैंसर है तो इसका इलाज है. इन सब चीजों के बारे में जानिए.
क्या है लिवर ट्यूमर
होपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक वैसे तो किसी भी तरह का ट्यूमर हो वह एक गांठ है जो बहुत से टिशू के एक साथ जमा होने से बनता है.जब कोशिकाएं अत्यधिक दर से बढ़ने लगती हैं तो यह गांठ के रूप में जमा होने लगती है. लेकिन इसमें टिशूज अबनॉर्मल हो जाते हैं. लिवर में ट्यूमर भी इसी प्रकार का होता है. यह ट्यूमर कैंसर भी हो सकता है और बगैर कैंसर वाला ट्यूमर भी होता है. जो कैंसर वाला ट्यूमर होता है उसे कैंसरस या मेलिगनेंट कहते हैं और बिना कैंसर वाले को बिनाइन कहते हैं.
बिना कैंसर वाला ट्यूमर
बिनाइन लिवर ट्यूमर यानी बिना कैंसर वाला ट्यूमर काफी सामान्य होते हैं और आमतौर पर कोई लक्षण उत्पन्न नहीं करते. ये अक्सर तब पता चलते हैं जब अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन कराया जाता है. सॉफ्ट लिवर ट्यूमर कई तरह के होते हैं.
हैपैटोसेल्युलर एडेनोमा – यह बिनाइन ट्यूमर कुछ विशेष दवाओं के उपयोग से जुड़ा होता है. इनमें से अधिकांश ट्यूमर बिना पता चले ही रह जाते हैं. कभी-कभी यह एडेनोमा फटकर पेट की गुहा में रक्तस्राव कर सकता है, जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है. बहुत कम मामलों में यह कैंसर में बदलता है.
हेमांजियोमा – यह ट्यूमर असामान्य रक्त वाहिकाओं की गांठ होती है. सामान्यतः इसका इलाज आवश्यक नहीं होता. हालांकि कुछ शिशुओं में बड़े हेमांजियोमा के कारण रक्त का थक्का जमने या हृदय विफलता की संभावना होती है जिससे सर्जरी करनी पड़ सकती है.
कैंसर वाला ट्यूमर
कैंसरयुक्त ट्यूमर बहुत घातक होता है यह या तो लिवर में ही उत्पन्न होते हैं या शरीर के अन्य हिस्सों से फैलकर लीवर तक पहुंचते हैं. इसे मेटास्टेटिक लिवर कैंसर कहते हैं. अधिकांश कैंसरयुक्त लीवर ट्यूमर मेटास्टेटिक होते हैं. यानी यह कहीं और कैंसर है जो फैलकर लिवर तक पहुंच गया है.
लिवर कैंसर का प्राइमरी स्टेज
इसे हैपैटोसेल्युलर कार्सिनोमा के रूप में भी जाना जाता है. यह प्राइमरी लिवर कैंसर का सबसे सामान्य रूप है. हेपेटाइटिस बी और सी के दीर्घकालिक संक्रमण से इस कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. अन्य कारणों में कुछ केमिकल, शराब का अत्यधिक सेवन और लिवर सिरोसिस शामिल हैं.
लिवर कैंसर के लक्षण
अधिकांश लिवर कैंसर हैपैटोमा होते हैं. इसके कई लक्षण दिखते हैं जो अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग तरह से होते हैं. इसमें पेट में दर्द, वजन घटना, मतली, उल्टी, पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में गांठ महसूस होना, बुखार, पीलिया, लगातार खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं. हैपैटोमा के लक्षण अन्य बीमारियों जैसे भी हो सकते हैं. ऐसे में हमेशा सही जांच से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
लिवर हैपैटोमा की जांच
लिवर हैपैटोमा की जांच के लिए सबसे पहले लिवर फंक्शन टेस्ट किया जाता है. इसमें विशेष रक्त परीक्षण जो लीवर की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करते हैं. इसके बाद एब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड कराया जाता है. फिर अगर सही से पता नहीं चलता तो सीटी स्कैन कराया जाता है जिसमें शरीर की आंतरिक परतों की स्पष्ट छवियां मिलती हैं. इसके अलावा हेपेटिक एंजियोग्राफी जो लिवर की धमनियों में पदार्थ डालकर एक्स-रे लिया जाता है. अगर जरूरत पड़ती है तो लिवर बायोप्सी की जाती है.
लिवर कैंसर का इलाज
लिवर कैंसर का इलाज अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है. आमतौर पर मरीज की जरूरत के हिसाब से और मरीज की सहनशक्ति के हिसाब से इलाज किया जाता है. इसके लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी आदि का सहारा लिया जाता है. अंतिम इलाज के रूप में लिवर ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ती है.