Home National एक्शन का असर! असम सीएम बोले- रद्द होने लगीं नाबालिगों की शादी, अदालतों को भी सब पता

एक्शन का असर! असम सीएम बोले- रद्द होने लगीं नाबालिगों की शादी, अदालतों को भी सब पता

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एक्शन का असर! असम सीएम बोले- रद्द होने लगीं नाबालिगों की शादी, अदालतों को भी सब पता

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बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार की कार्रवाई का असर दिखने लगा है। खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाल विवाह पर असम सरकार की एक पखवाड़े की कार्रवाई का राज्य में ‘सकारात्मक’ प्रभाव पड़ा है। असम सीएम ने कहा कि कई परिवारों ने कम उम्र के बच्चों की निर्धारित शादियों को इस अभियान के परिणामस्वरूप रद्द कर दिया। तीन फरवरी को शुरू हुई कार्रवाई में मंगलवार तक 4,225 मामले दर्ज कर 3,047 लोगों को पकड़ा गया था।

शर्मा ने ट्विटर पर कहा, “असम के विभिन्न हिस्सों से रिपोर्टें आ रही हैं कि कई परिवारों ने इस तरह की अवैध प्रथाओं के खिलाफ हमारे अभियान के बाद कम उम्र के बच्चों के बीच पूर्व-निर्धारित विवाहों को रद्द कर दिया है।” उन्होंने कहा, “यह निश्चित रूप से बाल विवाह के खिलाफ हमारी दो सप्ताह तक चली कार्रवाई का सकारात्मक प्रभाव है।”

असम सीएम ने लिखा, “बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इस कुप्रथा को रोका जाए। असम में गिरफ्तारियों में इस अपराध के अभियुक्त और अपराधी शामिल हैं।” उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारियां किसी के धर्म को देखकर नहीं की गई हैं। उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालयों को भी इस संबंध में सभी विवरण से अवगत कराया गया है। 3047 गिरफ्तारियों में से केवल 251 (8.23%) को जमानत दी गई है। हम इस तरह की सामाजिक बुराई को खत्म करने और अपराधियों के पापपूर्ण कृत्यों को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ हैं।

विपक्षी दलों ने अभियान चलाने के तौर तरीकों को लेकर इसकी आलोचना की और नाबालिग पतियों और परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी को राजनीतिक लाभ के लिए “कानून का दुरुपयोग” करार दिया। उन्होंने इसकी तुलना “लोगों को आतंकित करने के लिए” की जाने वाली पुलिस कार्रवाई से की।

गौहाटी उच्च न्यायालय ने भी बाल विवाह के आरोपियों पर यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2021 और दुष्कर्म की धाराएं लगाए जाने को लेकर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। अदालत ने कहा था कि ये “बिल्कुल अजीब” आरोप हैं। न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने कहा कि इससे ‘‘लोगों के निजी जीवन में तबाही’’ मची है और ऐसे मामलों में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है।

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