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अनन्या भटनागर
नई दिल्ली. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष बहस के बीच, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के उस बयान को सामने लाया, जिसमें संविधान के मूल संरचना सिद्धांत पर संदेह उठाया गया है. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ के समक्ष दलीलें पेश करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘आपके एक सम्मानित सहयोगी ने कहा है कि वास्तव में बुनियादी संरचना सिद्धांत भी संदिग्ध है.’
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीठ का नेतृत्व कर रहे सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सिब्बल, जब आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना पड़ता है. एक बार जब हम न्यायाधीश नहीं रह जाते, तो हमारे कथन राय अथवा विचार बन जाते हैं, बाध्यकारी तथ्य या आदेश नहीं.’ केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘संसद उस पर चर्चा नहीं करती है कि अदालत में क्या होता है और उसी तरह से अदालत भी ऐसा नहीं करती है… हर किसी को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है.’
बुनियादी संरचना सिद्धांत
राज्यसभा में मनोनीत सदस्य गोगोई ने सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस के दौरान कहा कि संविधान की मूल संरचना में ‘बहस योग्य न्यायशास्त्रीय आधार’ है. उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि कानून मेरी पसंद का न हो, लेकिन इससे यह मनमाना नहीं बन जाता है. क्या यह संविधान की मूल विशेषता का उल्लंघन है? मुझे बुनियादी ढांचे के बारे में कुछ कहना है. केशवानंद भारती मामले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल (टीआर) अंध्यारुजिना की एक किताब है. पुस्तक पढ़ने के बाद, मेरा विचार है कि संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का एक चर्चा किए जाने योग्य न्यायशास्त्रीय आधार है. इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा.’
दरअसल, बुनियादी संरचना सिद्धांत अदालत को संविधान के मूलभूत सिद्धांतों में संशोधन करने के लिए संसद की शक्तियों की समीक्षा करने और प्रतिबंधित करने का आदेश देता है. जब गोगोई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे, तब उन्होंने प्रमुख मामलों में इसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया था.
#WATCH | Rajya Sabha MP and former CJI Ranjan Gogoi on The Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2023
“…I am concerned as a nominated member not belonging to any political party, I am only concerned with whether the bill is constitutionally valid,… pic.twitter.com/RO03S42uy6
— ANI (@ANI) August 7, 2023
दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर अध्यादेश को बदलने के लिए विवादास्पद विधेयक के पक्ष में बोलते हुए गोगोई ने कहा था कि संसद के पास इस मुद्दे पर कानून बनाने की शक्ति है और अतिरेक का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि विधेयक ‘संघवाद के कमजोर स्वरूप’ का प्रावधान करता है, क्योंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है.
उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक पूरी तरह से वैध है और वह इस विधेयक का पूरा समर्थन करते हैं. गोगोई ने कहा था, ‘यदि आप (दिल्ली के लिए) पूर्ण संघवाद चाहते हैं, तो आप एक संशोधन ला सकते हैं और दिल्ली को एक पूर्ण राज्य बना सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुच्छेद 239 (एए) चुनौती के अधीन नहीं है. मेरा विचार है, विधेयक पूरी तरह वैध है.
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Tags: DY Chandrachud, Justice Ranjan Gogoi, Kapil sibal, Parliament Monsoon Session, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : August 08, 2023, 22:56 IST
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