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धीरज कुमार/मधेपुरा. परदादा लगाए, परपोता तक फल खाएं. जी हां! नारियल ऐसा फल है, जिसका पेड़ अगर परदादा अपने बचपन में लगाए तो उसका फल परपोता तक खा सकता है. यह अलग बात है कि मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर में भारत सरकार द्वारा वर्षों पूर्व नारियल विकास बोर्ड की स्थापना किए जाने के बावजूद इस इलाके में नारियल की खेती बड़े पैमाने पर किसानों ने नहीं शुरू की. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि नारियल के बागान में आप अन्य फलों के पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ सब्जी, हल्दी, मछली पालन और मखाना की भी खेती कर सकते हैं. यह 15 साल पर फल देना शुरू करता है और 70-80 साल तक फल देता है.
लोकल 18 बिहार से बात करते हुए नारियल विकास बोर्ड के सहायक निदेशक बिलीच दान बाड़ा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा नारियल विस्तार योजना के तहत नारियल के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए 10 पौधे से अधिक लगाने पर 60 रुपए का नारियल का पौधा 20 रुपए में दिया जा रहा है. इसमें 2 किस्तों में 20-20 रुपए का अनुदान दिया जाता है. इसके लिए नारियल विकास बोर्ड कार्यालय में जमीन की रसीद, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी, आधार कार्ड और एक फोटो जमा करना होता है. फिर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से यह लाभ किसानों को दिया जाता है.
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कई फसलों के साथ कर सकते हैं नारियल की खेती
नारियल की खेती की खास बात यह है कि यह ज्यादा छांव नहीं फैलाता है. इसलिए अन्य फसल जैसे धान और मक्का के साथ भी नारियल की खेती कर सकते हैं. इसके लिए नारियल के पौधे का डिस्टेंस 10-10 मीटर होना चाहिए. वहीं, नारियल की खेती के साथ मछली पालन भी किया जा सकता है. नारियल के बागान में आप अन्य फलों के पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ सब्जी, हल्दी, मछली पालन और मखाना की भी खेती कर सकते हैं. इसकी जानकारी आपको नारियल विकास बोर्ड कार्यालय में मिल जाएगी. मई-जून यानी मानसून के महीने में नारियल की रोपाई का सबसे उपयुक्त समय है.
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Tags: Agriculture, Bihar News, Food, Local18, Madhepura news
FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 12:43 IST
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