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One Nation One Election News: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी सिफारिश रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में उन राजनीतिक दलों की लिस्ट भी है जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के पक्ष और विपक्ष में हैं। राजनीतिक दलों की लिस्ट से पता चलता है कि लगभग 47 राजनीतिक दलों ने इस रिपोर्ट में भाग लिया है। पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 32 दल सहमत थे जबकि 15 ने एक साथ चुनाव पर असहमति जताई।
किसने और क्यों किया विरोध
आइए जानते हैं कि विरोध करने वाले 15 राजनीतिक दल आखिर कौन-कौन से हैं और उन्होंने अपने विरोध की वजह क्या बताई है। राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। इसके अलावा, आप, कांग्रेस और माकपा ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है। समाजवादी पार्टी ने अपने जवाब में कहा कि यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो राज्य-स्तरीय पार्टियां चुनावी रणनीति और खर्च में राष्ट्रीय पार्टियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी, जिससे इन दो समूहों के बीच कलह बढ़ जाएगी।
क्षेत्रीय पार्टियों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तृणमूल कांग्रेस (TMC), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रमुक (DMK), नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और समाजवादी पार्टी (SP) ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया। अन्य दलों में भाकपा (माले) लिबरेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया। राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) भी विरोध करने वाले राजनीतिक दलों में शामिल हैं।
ये रही लिस्ट-
- आम आदमी पार्टी (AAP)
- बहुजन समाज पार्टी (BSP)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM)
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
- ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF)
- अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC)
- ऑल इंडिया मजिलिस-एइत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)
- नागा पीपुल्स फ्रंट NPF)
- समाजवादी पार्टी (SP)
- मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMC)
- विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन
- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)
विरोध की क्या वजह?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 में एक सर्वदलीय बैठक हुई थी जिसमें शामिल 19 दलों में से 16 ने एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन किया था, जबकि सिर्फ तीन दलों ने विरोध किया था। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, जिन राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का विरोध किया, उन्होंने आशंका जताई कि इसे अपनाने से संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन हो सकता है, यह अलोकतांत्रिक और संघवाद विरोधी हो सकता है, क्षेत्रीय दलों को हाशिए पर धकेल सकता है, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को प्रोत्साहित कर सकता है और इसका परिणाम देश में शासन की राष्ट्रपति प्रणाली के तौर पर सामने आ सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बसपा ने स्पष्ट रूप से इसका विरोध नहीं किया, लेकिन देश की बड़ी क्षेत्रीय सीमा और जनसंख्या के संबंध में उन चिंताओं को उजागर किया, जो इसके क्रियान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं।
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