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How To Fix Unequal Rules In A Marriage: शादी का रिश्ता प्यार और समझदारी से चलता है, लेकिन जब एक ही घर में दो लोगों के लिए अलग-अलग नियम बन जाएं, तो रिश्ते में दूरी और नाराजगी आना तय है. कई बार ऐसा होता है कि एक पार्टनर को हर बात के लिए टोका जाता है, वहीं दूसरा वही काम करता है तो कुछ नहीं कहा जाता. यह भेदभाव धीरे-धीरे रिश्ते में कड़वाहट भर देता है और आपसी सम्मान खत्म होने लगता है. अगर आपकी शादी में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, जहां आपके लिए एक नियम(Marriage advice) है और आपके पार्टनर के लिए दूसरा- तो ये समय है खुद को और अपने रिश्ते को समझने का. आइए जानते हैं कैसे इस असंतुलन को सुधारा जा सकता है.
भावनाओं को समझें
रिश्ते में दोनों की भावनाएं समान रूप से जरूरी हैं. अगर एक पार्टनर हमेशा अपनी बात मनवाता है और दूसरे की राय को नजरअंदाज किया जाता है, तो इससे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है. बैठकर खुलकर बात करें और एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीखें.
“मेरे लिए क्यों नहीं?” की भावना को समझें
जब एक को देर तक बाहर रहने की छूट हो और दूसरे को नहीं, या एक की गलती माफ कर दी जाए और दूसरे को ताने सुनने पड़े, तो यह भावना स्वाभाविक रूप से जन्म लेती है. यह रिश्ता धीरे-धीरे competitive बनता है. इस भावना को खुलकर सामने लाएं और समझदारी से बातचीत करें.
रिलेशनशिप में ‘टीमवर्क’ लाएं
शादी में अगर दो लोग एक-दूसरे के खिलाफ नियम बनाने लगें तो वह रिश्ता साझेदारी नहीं, सत्ता की लड़ाई बन जाता है. इसलिए घर और रिश्ते को एक टीम की तरह चलाएं- जहां दोनों की जिम्मेदारियां, अधिकार और सीमाएं समान हों. फैसले मिलकर लें और एक-दूसरे के रोल को पहचानें.
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पारदर्शिता और निष्पक्षता रखें
कभी-कभी परिवार या ससुराल का दबाव भी भेदभाव की वजह बनता है. ऐसे में जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ निष्पक्ष और पारदर्शी रहें. अगर आप देखते हैं कि नियम एकतरफा हैं, तो विनम्रता से इस बात को उठाएं और संतुलन की मांग करें.
‘रूलबुक’ नहीं, ‘समझदारी’ अपनाएं
शादी को अगर नियमों की किताब बनाकर चलाया जाए, तो रिश्ते में प्यार की जगह डर और दबाव ले लेता है. इसलिए ज़रूरी है कि सख्त नियमों की जगह परस्पर समझ, सहमति और लचीलापन लाया जाए. हर बात पर बहस करने की बजाय कुछ बातों को जाने देना सीखें, और एक-दूसरे की मदद करें बेहतर बनने में.
शादी सिर्फ एक सामाजिक समझौता नहीं, बल्कि दो व्यक्तियों की साझी यात्रा है. अगर इस सफर में दोनों के लिए रास्ते अलग-अलग तय हों, तो मंज़िल पर साथ पहुंचना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए ज़रूरी है कि आपसी सम्मान, संवाद और बराबरी को रिश्ते की नींव बनाएं. ‘उसके लिए कुछ और, मेरे लिए कुछ और’ वाली सोच से बाहर निकलें और अपने रिश्ते को साझेदारी की तरह जीना शुरू करें. तभी आपका रिश्ता लंबी दूरी तय कर पाएगा- प्यार के साथ, समझदारी के साथ.
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