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अमेरिका में कुछ राज्यों में बच्चों के कई नाम रखने पर प्रतिबंध है, जैसे King, Queen, Jesus Christ आदि. कैलिफोर्निया में नामों में सिर्फ अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर ही मान्य हैं.

अमेरिका में 10 नाम रखने पर बैन है. (Representative Image:Reuters)
हाइलाइट्स
- अमेरिका में कुछ नामों पर प्रतिबंध है, जैसे King, Queen, Jesus Christ.
- कैलिफोर्निया में नामों में सिर्फ अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर ही मान्य हैं.
- जापान और न्यूजीलैंड में भी बच्चों के नाम पर सख्त नियम हैं.
वाशिंगटन. अगर आप अमेरिका में रहते हैं और अपने नवजात बच्चे का नाम रखने जा रहे हैं, तो जरा सावधान हो जाइए! हो सकता है आपका चुना हुआ नाम वहां कानूनी तौर पर मान्य ही न हो. जी हां, अमेरिका में कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें आप अपने बच्चे को नहीं दे सकते, क्योंकि वे वहां के कुछ राज्यों में प्रतिबंधित हैं.
अमेरिका में बच्चों के नाम रखने को लेकर अलग-अलग राज्यों में अपने-अपने नियम हैं. उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया में जन्म प्रमाण-पत्र पर दर्ज नामों में सिर्फ अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं. उच्चारण वाले अक्षर जैसे è, á या चिन्हों जैसे ñ, @ को मान्यता नहीं दी जाती.
ये हैं अमेरिका में प्रतिबंधित 10 नामों की लिस्ट:
1. King (राजा)
2. Queen (रानी)
3. Jesus Christ
4. III (तीसरा)
5. Santa Claus
6. Majesty
7. Adolf Hitler
8. Messiah
9. @ (ऐट द रेट)
10. 1069
इन नामों को या तो धार्मिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक विवाद से बचने के लिए रोका गया है, या फिर तकनीकी वजहों से मना किया गया है.
सिर्फ अमेरिका ही नहीं, जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी बच्चों के नाम पर सख्त नियम हैं. जापान में डेविल, पिकाचु और ऐसे नाम जो अजीब उच्चारण वाले हों, उन पर प्रतिबंध है. उनका मानना है कि ऐसे नाम बच्चों के लिए भविष्य में अपमान या परेशानी की वजह बन सकते हैं. न्यूजीलैंड ने हाल ही में 2024 में 40 ऐसे नामों की लिस्ट जारी की, जिन्हें नामंजूर कर दिया गया. इनमें ‘राजा’, ‘राजकुमार’, और ‘राजकुमारी’ जैसे नाम भी शामिल हैं. वहां की सरकार माता-पिता से बार-बार अपील करती है कि वे नाम चुनने से पहले उसके सामाजिक असर और बच्चे पर पड़ने वाले प्रभाव को जरूर सोचें.
जैसा कि न्यूजीलैंड की सरकार ने कहा कि ‘नाम एक तोहफा है, जो आमतौर पर जीवनभर साथ रहता है.’ ऐसे में सिर्फ अनोखेपन के चक्कर में कोई ऐसा नाम न चुनें जो आगे जाकर बच्चे के लिए शर्मिंदगी या भेदभाव की वजह बन जाए.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in … और पढ़ें
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