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Flight Anxiety: 12 जून को एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान के अहमदाबाद में क्रैश हो जाने के बाद हवाई यात्रा पर जाने वाले अधिकांश लोग डर गए हैं. उनके मन में तरह-तरह की शंकाएं चल रही है. इससे एंग्जाइटी बढ़ गई है. कई लोग तो टिकट तक कैंसिल करा चुके हैं लेकिन अधिकांश लोगों को यात्रा पर जाना जरूरी है, इसलिए टिकट कैंसिल कराना समस्याओं का समाधान नहीं है. हालांकि हवाई यात्रा का डर कोई नई बात नहीं है. यह डर सामान्य है जितना लोग समझते हैं उससे ज़्यादा लेकिन अहमदाबाद की इस दुर्घटना के बाद यह डर और गहरा और शारीरिक रूप से महसूस होने लगा है. ऐसे में किसी को को समझाना भी अब पहले से कठिन लग रहा है.
काउंसलिंग मनोवैज्ञानिक अथुल राज कहते हैं कि अक्सर यह डर विमान को लेकर नहीं होता. यह उस स्थिति को लेकर होता है जिसमें हमारे पास कोई नियंत्रण नहीं होता. आप जमीन से 35,000 फीट ऊपर होते हैं और एक धातु की नली में बैठे होते हैं. यहां आपको अनजान लोगों पर अपना जीवन सौंपना होता है. इसमें आप अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रहे होते हैं. यह असहाय स्थिति हमारे अंदर के सबसे पुराने डर को जगा देती है. बहुत से लोगों में यह डर जोर से नहीं आता. यह अंदर ही अंदर चलता रहता है. चाहे कोई कैसा भी निडर क्यों न हो, सामान पैक करने से पहले एक बार दिल की धड़कन तेज जरूर होती है. यात्रा से पहले रात को बेचैनी होने लगती है. हालांकि अक्सर लोग इसे काबू कर लेते हैं. लेकिन वर्तमान में प्लैन क्रैश के बाद जिस तरह से डर बैठा है, उसमें कुछ उपाय करना जरूरी है. यहां इन टिप्स की मदद से आप इस डर को भगा सकते हैं.
हवाई यात्रा के डर से कैसे निपटें?
1. अपने डर को पहचानें-पहले डर को पहचानें. आपको किस बात से डर है उसे समझ लें. जैसे आपको यह डर लगता है कि कहीं कि विमान गिर न जाएं या विमान में चढ़ जाने के बाद 35 हजार फुट की ऊंचाई पर झटके खाने से आपको डर लगता है. अचानक जब विमान उपर को उठती है तब डर लगता है या आप विमान में चारों तरफ से बंद जगह में घुटन महसूस करते हैं, तब डर होता है. इस डर को पहचानें और उसी हिसाब से तैयारी करें.
3. ध्यान भटकाएं-यात्रा से पहले से ही विमान के बारे में मत सोचें. इस तरफ ध्यान ले ही नहीं जाएं. कभी नहीं सोचें कि विमान पर चढ़ेंगे. फिर बैठेंगे. फिर विमान उड़ेगा तो उस वक्त क्या होगा. इस तरह की सोच आपकी एंग्जाइटी को बढ़ा देगी. इसलिए इस स्थिति में अपनी पसंद के गाने सुनें, पॉडकास्ट सुनें, किताबें या फिल्में तैयार रखें ताकि ध्यान डर से हटाया जा सके.
5. जमीन से जुड़ाव महसूस करें- शारीरिक अनुभवों पर ध्यान दें. जैसे सीट को महसूस करना या किसी वस्तु को छूना ताकि वर्तमान में बने रह सकें. अथुल कहते हैं, मैं लोगों को उड़ान के दौरान यह अभ्यास करने को कहता हूं. अपने पैरों को विमान की ज़मीन पर दबाएं और सीट पर दबाव देकर उसे महसूस करें. अपने सीने पर हाथ रखें. अपने शरीर का वजन महसूस करें. ये छोटे कदम हैं, लेकिन सीधे हमारे तंत्रिका तंत्र से बात करते हैं. इससे आपको महसूस होगा कि आप विमान पर हैं.
7. पेशेवर सहायता लें- अगर डर बहुत ज़्यादा हो, तो सीबीटी (संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी) या डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं काफी असरदार हो सकती हैं. अथुल बताते हैं कि अगर यह डर लगातार बना रहता है, आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल रहा है, आप यात्रा से बचने लगे हैं या उड़ान से पहले सो नहीं पाते तो यह संकेत है कि आपको मनोविश्लेषक से मदद लेनी चाहिए. थेरेपी शरीर में जमी डर को ठीक करने में मदद कर सकती है.
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