हाइलाइट्स
वायु प्रदूषण की वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
विशेषज्ञों की मानें तो अभी कुछ दिन प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.
Delhi air Pollution side effects: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है. पंजाब की पराली का धुआं हो या दिल्ली में हवा की सुस्त रफ्तार दोनों ही चीजें एयर पॉल्यूशन को कम नहीं होने दे रहीं. मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में अभी प्रदूषण से राहत नहीं मिलने वाली. फिलहाल प्रदूषण की वजह से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. दिल्ली ही नहीं बल्कि नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम के अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्यूबरक्यूलोसिस एंड रेस्पिरेटरी डिजीज में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बाद से अस्पतालों में रेस्पिरेटरी डिजीज वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. अस्पताल में चलने वाले एलर्जी क्लीनिक में ही सामान्य से कई गुना मरीज पहुंच रहे हैं. ज्यादातर मामले अस्थमैटिक अटैक के आ रहे हैं. जिन मरीजों को पहले से अस्थमा है, उनका अस्थमा अचानक बढ़ गया है और उनमें सीवियेरिटी आ रही है, वहीं कुछ ऐसे मरीज भी हैं, जिनमें अस्थमा के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
वहीं अपोलो, आरएमएल और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की ओपीडी में सिर्फ सांस, दमा या फेफड़ों की बीमारियों के मरीज ही नहीं बल्कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट में विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय बताते हैं कि पॉल्यूशन के बाद एक अनुमान के अनुसार अस्पतालों में 30 फीसदी मरीज ज्यादा बढ़ गए हैं. ये सभी मिलीजुली बीमारियों के मरीज हैं. यह माना जा सकता है कि प्रदूषण के शरीर पर पड़ रहे असर के बाद अन्य बीमारियों के लक्षण भी तेजी से उभर रहे हैं.
कुछ दिन हालात रहेंगे खराब
विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है दिल्ली में हवा 4 से 8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही है जबकि प्रदूषण तत्वों, जहरीली गैसों को वायुमंडल में एक जगह से दूर तक फैलाने के लिए कम से कम 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार होना जरूरी है, इसकी वजह से प्रदूषण एक जगह पर बना हुआ है और बढ़ रहा है. इस समय बेहतर होगा कि जिन लोगों को सांस, अस्थमा, फेफड़े संबंधी या अन्य कोई गंभीर बीमारी है वे कुछ दिन के लिए संभव हो सके तो यहां की हवा से बाहर चले जाएं.
कितने दिन के लिए छोड़ दें दिल्ली-एनसीआर
विवेक कहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर को छोड़ना सभी के बस की बात नहीं है लेकिन जो लोग अफॉर्ड कर सकते हैं, या जो रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों से घिरे हैं, वे कम से कम 20 दिन के लिए दिल्ली-एनसीआर को छोड़ दें तो बेहतर होगा. हालांकि जरूरी नहीं है कि तब तक प्रदूषण साफ हो जाएगा लेकिन कुछ राहत मिल सकती है. वहीं अगर वे शहर नहीं छोड़ सकते तो इतने दिन घर के अंदर रहें, बाहरी गतिविधियां एकदम कम कर दें. बाहर निकलें तो एन-95 मास्क पहनकर ही निकलें.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 20:50 IST