Sunday, December 22, 2024
Google search engine
HomeLife Styleऔषधि है इस पेड़ की छाल, वायरल फीवर के लिए है रामबाण!...

औषधि है इस पेड़ की छाल, वायरल फीवर के लिए है रामबाण! हर जगह है आसानी से उपलब्ध


सनन्दन उपाध्याय/बलिया : आयुर्वेद देश की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है. इस पद्धति में रोग का उपचार इस प्रकार होता है कि रोगी को किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. आज हम एक ऐसे वृक्ष के बारे में बात करेंगे जिसके छाल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इस वृक्ष की छाल इतनी गुणकारी है की शरीर के तमाम बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कामयाब माना जाता है.

जी हां हम बात कर रहे हैं अर्जुन के वृक्ष की. कहा जाए तो अर्जुन के धनुष से कहीं कम शक्तिशाली नहीं है. अर्जुन के वृक्ष की छाल में बहुत सारे महत्वपूर्ण घटक पाए जाते हैं. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव बताते हैं कि यह अर्जुन का छाल बहुत गुणकारी है. इसमें तमाम महत्वपूर्ण घटक पाए जाते हैं. जो शरीर में होने वाली कई गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में उपयोगी होता हैं.

इन रोगों में हैं लाभदायक
प्रभारी चिकित्साधिकारी बताते हैं कि इसका वनस्पति नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है. इसका छाल काफी मुलायम और गुलाबी कलर का होता है. इसमें कई महत्वपूर्ण घटक पाए जाते हैं. जो कोलेस्ट्रॉल, फैट का जमा होना, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसे तमाम बीमारियों में रामबाण का काम करता है. इसका वर्णन आचार्य चरक ने भी त्वचा विकार के लिए गुणकारी के रूप में किया है. यह वायरल फीवर में भी काफी काम आता है.

ऐसे करें इस महत्वपूर्ण औषधि का प्रयोग
प्रभारी चिकित्साधिकारी बताते हैं कि इस महत्वपूर्ण वृक्ष के छाल को निकाल कर बहुत अच्छी तरह से धोकर लेना चाहिए. उसके बाद चार गिलास पानी में काढ़ा बनाएं. जब इसका चौथाई भाग बच जाए तब इसको अच्छी तरह से छान कर सुबह-शाम काढ़े के रूप में लिया जा सकता है. जो शरीर के लिए काफी गुणकारी है. यह तमाम रोगों में बहुत अच्छा काम करता है. दरअसल इसके छाल को क्षीर पाक विधि के अनुसार दूध में भी उबालकर सेवन किया जा सकता है. जो बहुत फायदेमंद होता है.

न करें इस छाल का प्रयोग
कई लोग अर्जुन के छोटे पौधे से भी छाल निकालकर काढ़ा बनाकर पीने लगते हैं. जिसका कोई मतलब नहीं होता है. इस छाल का काढ़ा उपयोगी नहीं होता है. जो वृक्ष पुराना हो या जिसका छाल थोड़ा थोड़ा गुलाबी रंग में दिखने लगे वहीं महत्त्वपूर्ण और उपयोगी होता हैं. अन्यथा छोटे पौधे की छाल उपयोगी नहीं होती है. छोटे पौधे से छाल निकालने के बाद ये सूख भी जाते हैं और उपयोगी भी नहीं रह जाता है.

Tags: Ballia news, Health News, Life18, Local18, Uttar Pradesh News Hindi



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments