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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि कांग्रेस ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ गैंग को बढ़ावा दे रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते यह बात कही. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए भारत के टुकड़े किए. कांग्रेस का इतिहास मां भारती के टुकड़े करने का रहा है. पीएम मोदी ने कहा, ‘ये जो लोग बाहर गए हैं, उनसे पूछिए ये कच्चथीवू (katchatheevu) द्वीप क्या है? और ये कच्चथीवू कहां है? जरा उनसे पूछिए… इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर के देश को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने विपक्ष से सवाल पूछा कि कच्चथीवु क्या है? डीएमके के सीएम पत्र लिखकर कहते हैं कच्चथीवु वापस लाइए. ये कच्चथीवू है क्या? किसने किया… तमिल नाडु से आगे श्रीलंका से पहले एक टापू, किसने किसी दूसरे देश को दिया था? कब दिया था? क्या ये भारत माता नहीं थी वहां. क्या वो मां भारती का अंग नहीं था. इसको भी आपने तोड़ा और कौन था उस समय. श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था ये. कांग्रेस का इतिहास, मां भारती को छिन्न-भिन्न करना का रहा है.’

हिंद महासागर में भारत के दक्षिणी छोर पर और श्रीलंका के बीच में एक द्वीप स्थित है, जिस पर आज भी कोई नहीं रहता.
कभी भारत का हिस्सा था कच्चथीवू, अब श्रीलंका के अधिकार में
दरअसल कच्चथीवू, श्रीलंका और रामेश्वरम (भारत) के बीच स्थित एक द्वीप है जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था. अब उस पर श्रीलंका का अधिकार है. इसे 1974 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने अपने समकक्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कच्चथीवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था. हालांकि तब तमिलनाडु के तत्कालीन सीएम एम करूणानिधि ने इस फैसले पर ऐतराज जताया था.
जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में उठाया था कच्चथीवू मामला
साल 2008 में एआईएडीएमके की नेता जयललिता ने भी कच्चथीवू मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था. उनका कहना था कि भारत सरकार बिना संविधान संशोधन के देश की जमीन, किसी दूसरे देश को नहीं दे सकती. जयललिता जब 2011 में मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने विधानसभा में इसे लेकर एक प्रस्ताव भी पारित करवाया था.
हमेशा से विवाद का कारण रहा, 285 एकड़ में फैला निर्जन द्वीप
कच्चथीवू को लेकर लंबे समय से विवाद होते रहे हैं. यह एक निर्जन द्वीप है जिस पर आज भी कोई नहीं रहता. पुराने समय की बात करें तो 17 वीं शताब्दी में यहां राजा रामनद का शासन था और वह मदुरई के राजा थे. इसके बाद यह द्वीप अंग्रेजों के अधीन रहा और उस समय यहा मद्रास प्रेसेडेंसी का नियंत्रण था. भारत के आजाद होने पर इसे भारत का हिस्सा कहा गया और सरकारी दस्तावेजों में भी इसका जिक्र था, लेकिन तभी श्रीलंका ने भी इसे अपना हिस्सा बताया था.
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Tags: BJP, Congress, Parliament Monsoon Session, Pm narendra modi, Sri lanka
FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 05:00 IST
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