ऐप पर पढ़ें
Congress-Samajwadi Party Allaince: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच छिड़े विवाद का फिलहाल पटाक्षेप होते नज़र आ रहा है लेकिन इसके साथ ही ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि दोनों दलों के बीच सीज फायर स्थाई है या फिर लोकसभा चुनाव आते-आते फिर कोई नई स्थिति नज़र आएगी। India गठबंधन की मजबूती के नाम पर दोनों दलों के बड़े नेता आपसी सहमति की बात तो कर रहे हैं लेकिन कहीं लोकसभा चुनाव में भी सीट शेयरिंग के वक्त हित टकराए तो क्या निचले स्तर से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक ऐसी ही समझ कायम रह पाएगी।
बता दें कि हरदोई में सपा के लोक जागरण अभियान के दूसरे दिन अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि हमारे पास कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का संदेश आया है। दोनों पार्टियों के बीच जो भी गलतफहमी या नाराजगी हुई है, उसे मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा। अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता अगर कुछ कह रहे हैं तो मुझे बात माननी पड़ेगी। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने डॉ.राम मनोहर लोहिया और मुलायम सिंह यादव का हवाला दिया और कहा कि दोनों नेताओं ने कहा था कि यदि किसी बिंदु पर यह लगे कि कांग्रेस कमजोर है और उसे समाजवादियों की मदद की जरूरत है और वह बुलाए, तब मना मत करना, कांग्रेस का साथ दे देना।
इस बीच अखिलेश ने अपनी पार्टी के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता आईपी सिंह द्वारा एक्स पर किए गए विवादित पोस्ट को भी डिलीट कराया। इस पोस्ट में राहुल गांधी पर अमर्यादित और अभद्र टिप्पणी की गई थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के ‘जिसने अपने पिता का सम्मान नहीं किया…’ वाले बयान पर अखिलेश ने कहा कि किसी भी संस्कारवान व्यक्ति को किसी के पिता तक नहीं जाना चाहिए। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी अपने तेवर नरम कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि वह सपा के रवैये और अखिलेश यादव की टिप्पणी पर अब कुछ नहीं कहना चाहते हैं।
कुल मिलाकर दोनों दलों के नेताओं ने कुछ दिन तलवारें खींचने के बाद अब चौतरफा सुलह-सफाई के संदेश देने शुरू कर दिए हैं। इससे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों में आई कड़वाहट फिलहाल थमती नजर आ रही है लेकिन इसके साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या ये सुलह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव तक कायम रह पाएगी।
लोकसभा चुनाव में जरूरत भर सीटों से चल जाएगा राहुल का काम?
राहुल गांधी के संदेश के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर तो सपा और कांग्रेस का विवाद थम चुका है लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भी दोनों दल सीट बंटवारे की इस आंच से शायद ही बच पाएं। जानकारों का कहना हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने जनाधार के आधार सीट बंटवारे का तर्क दिया। यदि अखिलेश ने भी यूपी में इसी फॉर्मूले की बात की तो यूपी में गठबंधन के तहत 20-21 लोकसभा सीटों पर लड़ने का कांग्रेसी दावा, सिर्फ दावा ही बन कर रह जाएगा। पिछले दिनों इसके संकेत मिल चुके हैं कि I.N.D.I.A. अलाएंस जब उत्तर प्रदेश सीट बंटवारे की बात करेगा तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस जिस फॉर्मूले को लागू कर रही है उसी पर सपा भी बात करेगी। अखिलेश ने भी कह दिया था कि कांग्रेस ने हमारे साथ जैसा किया, वैसा हम भी करेंगे। अब जानकारों का कहना है कि यदि अखिलेश अपनी बात पर कायम रहे तो कांग्रेस गठबंधन में रहते हुए सिर्फ एक से दो सीट पर चुनाव लड़ पाएगी। यूपी में कांग्रेस की स्थिति यह है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वो सिर्फ रायबरेली सीट ही जीत सकी थी। अमेठी से राहुल गांधी हार गए थे। अब सवाल उठता है कि यदि सपा ने उसे इस आधार पर सीटें देने की बात की तो क्या कांग्रेस का स्थानीय और केंद्रीय नेतृत्व इसे स्वीकार कर लेगा?
अमेठी-रायबरेली में क्या करेगी सपा?
उधर, मध्य प्रदेश को लेकर तल्खी के बीच समाजवादी पार्टी ने अमेठी-रायबरेली में भी इस बार उम्मीदवार लड़ाने के संकेत देने शुरू कर दिए थे। वैसे समाजवादी पार्टी की स्थानीय इकाई लंबे समय से इसकी मांग भी करती रही है। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने भी कहा था कि स्थानीय नेता कहते हैं कि हम तो कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ देते हैं लेकिन जब मुद्दों पर लड़ाई होती है तो कांग्रेस सपा के साथ खड़ी नहीं होती। बता दें कि अमेठी और रायबरेली सीटों का ताल्लुक सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से है। इन दोनों सीटों से गांधी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते रहे हैं। समाजवादी पार्टी इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार नहीं लड़ाती। वर्तमान में रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं। वहीं अमेठी सीट पर 2019 के चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था। स्मृति और राहुल के समर्थक इस बार भी चुनाव को लेकर अपने-अपने दावे कर रहे हैं। लेकिन ऐसे में यदि समाजवादी पार्टी पिछले चुनावों से अलग कोई रुख अपनाती है तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।