हाइलाइट्स
28 मार्च को शाम 06 बजकर 56 मिनट पर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि लगेगी.
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल में सूर्योदय से लेकर सुबह 07:48 बजे तक है.
Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2024: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. उस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी और चंद्रमा की पूजा करते हैं. भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं. गणपति बप्पा की कृपा से कार्य सफल होते हैं, उसमें कोई बाधा नहीं आती है. जीवन में शुभता बढ़ती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कब है? गणेश पूजा का मुहूर्त और चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय क्या है?
किस दिन है भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल 28 मार्च दिन गुरुवार को शाम 06 बजकर 56 मिनट पर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि लगेगी. उसके अगले दिन 29 मार्च शुक्रवार को रात 08 बजकर 20 मिनट पर चतुर्थी तिथि की समाप्ति होगी. चंद्रोदय समय के आधार पर भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 मार्च गुरुवार को रखा जाएगा.
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2024 मुहूर्त
28 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल में सूर्योदय से लेकर सुबह 07:48 बजे तक है. उस दिन सूर्योदय सुबह सवा 6 बजे होगा. इस समय में शुभ उत्तम मुहूर्त भी होगा. इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक शुभ समय होगा.
उस दिन का शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 42 मिनट से प्रात: 05 बजकर 29 मिनट जक है.
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन रात में चंद्रमा की पूजा करके ही व्रत को पूरा किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा देर से उदित होता है. इस वजह से व्रती को उस दिन चंद्रोदय की प्रतीक्षा होती है. भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय रात 09 बजकर 28 मिनट पर होगा. उस समय पर आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा कर सकते हैं.
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा भी
व्रत के दिन भद्रा भी लग रही है. हालांकि इस भद्रा का वास पाताल लोक में है. भद्रा का समय प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है. पाताल की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होता है.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 11:00 IST