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हाइलाइट्स
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई गुरुवार को रात 09 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है.
वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है.
उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाते हैं. वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं निर्जला व्रत रखकर वट वृक्ष और देवी सावित्री की पूजा करती हैं. वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती भी है. व्रत रखने वालों पर शनि देव की भी कृपा होगी. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि वट सावित्री व्रत कब है? पूजा का अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त क्या है? इस व्रत का महत्व क्या है?
वट सावित्री व्रत 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई गुरुवार को रात 09 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है. यह तिथि अगले दिन 19 मई शुक्रवार को रात 09 बजकर 22 मिनट तक मान्य रहेगी. उदयातिथि के आधार पर वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा. इस दिन वट वृक्ष की पूजा होगी.
वट सावित्री व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
वट सावित्री व्रत वाले दिन सुबह से ही पूजा का अच्छा मुहूर्त है. पूजा का अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक है. उसके बाद शुभ-उत्तम दिन में 11 बजकर 37 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक है.
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जो महिलाएं सुबह में पूजा करना चाहती हैं, वे प्रात: 04 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 15 मिनट के मध्य पूजा पाठ कर सकती हैं. इसमें लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 06 बजकर 34 मिनट से सुबह 08 बजकर 15 मिनट तक है.
वट सावित्री व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री के पति सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने के लिए गए थे, उस दौरान यमराज ने उनके प्राण हर लिए और यमलोक जाने लगे. वहां पर सावित्री भी थीं. वे भी यमराज के पीछे-पीछे जाने लगीं. यमराज ने उनको रोका, लेकिन वह अपने पति के प्राण वापस लिए बगैर जाने के लिए तैयार न थीं.
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वे यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेने में सफल रहीं, जिससे सत्यवान फिर से जीवित हो उठे. उस दिन ज्येष्ठ अमावस्या तिथि थी. इस घटना के बाद से हर साल सुहागन महिलाएं ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखने लगीं. मृत्यु के समय सत्यवान वट वृक्ष के नीचे लेटे थे. इस व्रत में वट वृक्ष और सावित्री की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं. इस व्रत के करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति दीर्घायु होते हैं.
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2023
दक्षिण भारत में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 3 जून शनिवार को रखा जाएगा.
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Tags: Religion
FIRST PUBLISHED : April 30, 2023, 07:00 IST
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