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हाइलाइट्स
विश्वकर्मा पूजा पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग सुबह 06:07 ए एम से सुबह 10:02 ए एम तक है.
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:15 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक है.
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्म देव के पुत्र हैं. उनको देवताओं का शिल्पी कहते हैं.
विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है. इस बार विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि समेत 4 शुभ योग बन रहे हैं, जिससे यह दिन और भी विशेष फलदायी हो गया है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है. ये सभी शुभ योग आपके मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होंगे. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा की तारीख, शुभ मुहूर्त और शुभ योग के बारे में.
कब है विश्वकर्मा पूजा 2023?
ज्योतिषाचार्य भट्ट बताते हैं कि इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर दिन रविवार को है. उस दिन कन्या संक्रांति का क्षण दोपहर 01:43 पी एम पर है. इस समय सूर्य देव कन्या राशि में गोचर करेंगे. ऐसे में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाया जाएगा. उस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है.
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4 शुभ योग में है विश्वकर्मा पूजा 2023
विश्वकर्मा पूजा के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन ब्रह्म योग प्रात:काल से लेकर अगले दिन 04:28 ए एम तक रहेगा और उसके बाद इंद्र योग शुरू होगा. उस दिन हस्त्र नक्षत्र सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है.
विश्वकर्मा पूजा पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 06:07 ए एम से सुबह 10:02 ए एम तक है. उस दिन द्विपुष्कर योग सुबह 10:02 ए एम से 11:08 ए एम तक है. द्विपुष्कर योग में आप जो कार्य करते हैं, उसका दोगुना फल मिलता है.
विश्वकर्मा पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त क्या है?
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:15 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक है. उस दिन का अभिजित मुहूर्त 11:51 ए एम से 12:40 पी एम तक है. इसके अलावा भी जो लोग अन्य समय में विश्वकर्मा पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए शुभ मुहूर्त नीचे दिए गए हैं.
सुबह 07:39 ए एम से 09:11 ए एम तक, उसके बाद सुबह 09:11 ए एम से 10:43 ए एम तक, फिर 10:43 ए एम से दोपहर 12:15 पी एम तक, दोपहर में 01:48 पी एम से दोपहर 03:20 पी एम तक है.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व क्या है?
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्म देव के पुत्र हैं. उनको देवताओं का शिल्पी कहते हैं. इस सृष्टि की रचना में विश्वकर्मा जी ने ब्रह्म देव की मदद की थी. विश्वकर्मा जी ने ही सोने की लंका, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था. भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से बिजनेस में उन्नति होती है. मशीन और निर्माण से जुड़े लोगों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर कहा जाता है.
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Tags: Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : September 13, 2023, 10:33 IST
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