नई दिल्ली. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जाति जनगणना की वकालत की है और ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा दिया है, लेकिन उनके दिवंगत पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1990 में संसद में “जातिविहीन समाज” की वकालत की थी और यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह पर भी मंडल आयोग की रिपोर्ट के साथ देश को जाति युद्ध में झोंकने का आरोप लगाया था.
यह शायद पिछले कुछ वर्षों में जाति-आधारित राजनीति के मुद्दे पर कांग्रेस के दृष्टिकोण में विरोधाभास को जाहिर करता है. राहुल गांधी अब पीएम नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए 1990 के दशक की मंडल राजनीति के दूसरे संस्करण की ओर रुख कर रहे हैं, जबकि उनके पिता और दादी का दृष्टिकोण अलग था.
राजीव गांधी ने 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में अपने एक भाषण में कहा था, “अगर आप पीछे मुड़कर देखें, तो 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने ‘न जात पर, न पात पर’ (जाति या पंथ पर नहीं) का नारा लगाया था. वीपी सिंह सरकार ने कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों पर रिपोर्ट दबाए रखने का आरोप लगाया था.
न्यूज़18 ने उस भाषण की समीक्षा की जिसमें तत्कालीन विपक्ष के नेता राजीव गांधी की वीपी सिंह के साथ तीखी नोकझोंक हुई क्योंकि वह मंडल आयोग की रिपोर्ट को आगे बढ़ा रहे थे. राजीव गांधी ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि इस सरकार की सोच जाति के इर्द-गिर्द घूमती है… वीपी सिंह हमारे समाज में दरार पैदा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि “देश का लक्ष्य जातिविहीन समाज होना चाहिए” और आपको ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचना चाहिए जो देश को जाति-ग्रस्त समाज की ओर ले जाए. उन्होंने कहा, ”इस सदन में कोई भी यह नहीं कहेगा कि जातिवाद को हटाना उस राष्ट्रीय लक्ष्य का हिस्सा नहीं है.”
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2023, 17:19 IST