खबर के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ प्लायमाउथ में मैकेनिकल एंड मरीन इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ग्राहम-जोन्स ने खुलासा किया कि कैसे गलत अनुमान इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हो सकता है। पनडुब्बी की खिड़की के बारे में ग्राहम-जोन्स ने कहा कि टाइटैनिक के मलबे की गहराई तक जाने के लिए इसे प्रमाणित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जो व्यक्ति इसका संचालन कर रहा था उसने दरअसल कई बड़ी गलतियां कीं और वह अपनी गणनाओं को लेकर अति आत्मविश्वास में था।’
बाहरी हिस्सों में लीकेज की आशंका
उन्होंने आगे बताया, ‘सबमरीन में दरारें बन गई होंगी, हो सकता है कि उन्हें पहले नहीं देखा गया हो लेकिन धीरे-धीरे वे बड़ी हो गई होंगी।’ सबमरीन के पाइप और बाहरी हिस्सों में लीकेज भी हो सकता है। इससे सबमर्सिबल को कंट्रोल करने वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स में खराबी आ गई होगी और आग लग गई होगी। उन्होंने कहा, ‘इलेक्ट्रिक पार्ट में आने वाले पानी के रिसाव से भी हादसा हो सकता है।’ अगर बहुत मामूली रिसाव हुआ होगा तो यात्रियों को इसके बारे में पता चल गया होगा।
मलबा बयां करेगा दास्तां
इस भयावह घटना के कारण का पता लगाने की प्रक्रिया में काफी समय लगेगा क्योंकि विशेषज्ञ मलबे की जांच कर रहे हैं। डॉ ग्राहम-जोन्स ने कहा कि मलबे की जारी की गई तस्वीरें पहचानने योग्य हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि वह पाइप, उनके कवर और बिजली के तार देख सकते हैं। पिछले गुरुवार को मलबा मिलने के बाद 10 हजार स्क्वायर मील में फैला टाइटन का खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया गया था।