
कमालिका सेनगुप्ता
इंफाल. हम सात लोगों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था, जहां पूरी रात धमाके और आंसू-गैस के गोलों की आवाज़ आती रही. हिंसाग्रस्त मणिपुर से किसी तरह अपनी और अपने परिवार की जान बचाकर भागने में सफल रहे थांग ने News18 को जूम कॉल पर यह बात बताई. वह बताते हैं कि उन्हें मणिपुर से अपने परिवार को सुरक्षित निकालने के लिए भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी.
थांग और उनका परिवार इंफाल में था, जब लगभग 63 किलोमीटर दूर ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद चुराचंदपुर जिले के तोरबुंग इलाके में हिंसा भड़क उठी.
सोचा नहीं था कि इतनी भड़क जाएगी हिंसा
फिलहाल एक अज्ञात स्थान पर पनाह लिए थांग ने News18 को बताया, ‘हमने सुना कि चुराचांदपुर में कुछ विरोध हो रहा था. हमने सोचा भी नहीं था कि यह इतना बड़ा हो जाएगा. हमने सुना कि चुराचांदपुर में कुछ हुआ है और सोचा था कि चीजें जल्द ही ठीक हो जाएंगी.’
वह कहते हैं, ‘इसके बाद जो हुआ वह अकल्पनीय था. हमें पता चला कि इंफाल में घरों को आग लगा दी गई. हमने सोचा कि पुलिस चीजों को कंट्रोल कर लेगी, लेकिन हालात और बिगड़ गए.’
इलाके में इंटरनेट बंद होने के बाद के हालात का विवरण देते हुए थांग ने कहा, ‘अगले दिन, ऐसा लगा कि पूरे इंफाल शहर पर कब्जा कर लिया गया है. हमारा घर थाने (पुलिस स्टेशन) के करीब था, लेकिन हम सुरक्षित नहीं थे. उस रात, हम बस धमाकों और आंसू गैस के गोले दागे जाने की आवाज़ सुन रहे थे. हम बेहद डर गए और हम सातों लोगों ने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया. हमारे बच्चे भी डरे हुए थे.’
‘चारों तरफ दिख रही थी आग’
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘अपनी खिड़की से, हम चारों तरफ आग देख सकते थे. पुलिस कोशिश कर रही थी, लेकिन ज्यादा कुछ नहीं कर पाई. यह पूरी तरह से गुंडागर्दी थी. हम लोगों के चीखने- चिल्लाने की आवाज सुन सकते थे. हम अपनी जान को लेकर डर गए थे. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. यहां फेक न्यूज भी काफी फैल रहा था. 4 मई को, हमें पता चला कि हम एक पैरामिलिट्री कैंप में शरण ले सकते हैं.’
कैंप में थांग और उसके परिवार का सामना एक और खतरनाक स्थिति से हुआ. वह बताते हैं, ‘बहुत सारे लोगों को वहां लाया गया था और सब कुछ अचानक व्यवस्थित करना पड़ा. वहां न पानी था, न उचित स्थान, न कोई सुविधा. हमारे बच्चे बीमार पड़ने लगे. हमें कैंप छोड़ना पड़ा और घर लौटने की सोचने लगे, लेकिन हमने आखिरकार बाहर जाने का फैसला किया.’
16 हजार में खरीदा 4 हजार वाला प्लेन टिकट
थांग बताते हैं कि राज्य छोड़ने का फैसला काफी मुश्किल था, लेकिन इसके लिए परिवार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. थांग बताते हैं, ‘हम टिकट नहीं खरीद सके, क्योंकि वहां इंटरनेट काम नहीं कर रहा था. वहां शूट एट साइट (देखते ही गोली मारने) के आदेश के बावजूद गुंडे खुलेआम घूम रहे थे. राज्य के बाहर के हमारे दोस्तों ने हमारे लिए टिकट बुक किया. आम तौर पर 4000 रुपये में मिल जाने वाली टिकट के लिए हमें प्रती व्यक्ति 16 हजार रुपये की कीमत चुकानी पड़ी.’
इसके साथ ही वह बताते हैं कि ‘आज, मैं अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट बुक करने की कोशिश कर रहा था. उसकी कीमत आज 40,000 रुपये है. ऐसा नहीं होना चाहिए था.’
सिक्युरिटी फोर्स में एक दोस्त ने की मदद
फ्लाइट टिकट लेने के बाद एयरपोर्ट तक पहुंचना उनके परिवार के लिए एक और चुनौती जैसी थी. थांग बताते हैं, ‘एयरपोर्ट तक पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं थी. मैंने सिक्युरिटी फोर्स में एक दोस्त से मदद मांगी. मेरे दोस्त ने कहा कि हम उसके काफिले के साथ चल सकते हैं. महज 30 मिनट में हमने अपना सामान समेटा और निकल पड़े. अधिकांश लोगों के पास वह सुविधा नहीं है. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने टिकट खरीदे हैं, लेकिन सुरक्षित एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.’
News18 से बात करते हुए थांग ने उम्मीद जताई कि उनके राज्य में शांति लौट आएगी. उन्होंने कहा, ‘स्थिति इतनी तनावपूर्ण और अस्थिर है… मैं अपने भाइयों और बहनों से अपील करता हूं कि जैसे को तैसा समाधान नहीं है. यह दर्दनाक है. हिंसा कभी भी इसका जवाब नहीं है… अलग-अलग समुदायों के दोस्त हमारी मदद कर रहे हैं. हम लंबे समय से शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह सरकार से कोई अपील करना चाहते हैं, थांग ने कहा, ‘केंद्र सरकार से मेरी अपील है कि कृपया उन लोगों को बाहर निकालें जो मणिपुर में खतरे में हैं. मुझे सुरक्षाकर्मियों से संपर्क करने का सौभाग्य मिला, लेकिन वहां फंसे ज्यादातर लोगों के पास ऐसा कोई संपर्क नहीं है. मणिपुर में बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं. उनकी मदद करे. हमें विमान से निकाले जाने की जरूरत है और फ्लाइट का टिकट बहुत महंगा है.’
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Tags: Manipur News, Violence
FIRST PUBLISHED : May 06, 2023, 20:17 IST