नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध अभी के लिए शांत हुआ है. दोनों नेताओं के बीच तनातनी पिछले रविवार को उस समय फिर से तेज हो गई थी, जब पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार में भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुख्यमंत्री की ‘निष्क्रियता’ के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद गांधी परिवार का कोई भी सदस्य सीधे सचिन पायलट से नहीं मिला है, लेकिन मध्यस्थकर्ताओं के माध्यम से जिनमें पार्टी का ज्यादातर वरिष्ठ नेतृत्व शामिल है, आलाकमान पायलट के संपर्क में जरूर है.
सचिन पायलट के बागी तेवर को ठंडा करने की जिम्मेदारी अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने संभाल ली है. राहुल गांधी की, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से बात के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी इन नेताओं की मुलाकात हुई. इसके बाद वेणुगोपाल, कमलनाथ से मिले और उन्हें राहुल गांधी का संदेश दिया. अब कमलनाथ, सचिन पायलट से बात कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो सचिन की मां रमा पायलट से भी कमलनाथ ने बात की है. आपको बता दें कि कमलनाथ सचिन के पिता राजेश पायलट के घनिष्ठ मित्र रहे हैं.
कमलनाथ ने संभाला मोर्चा, सचिन पायलट से कर रहे बात
अब कमलनाथ रंधावा, वेणुगोपाल, सचिन और जरूरत पड़ी तो राहुल गांधी से बात कर सुलह का स्थाई फॉर्मूला निकलेंगे. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी केसी वेणुगोपाल संपर्क में हैं. सचिन पायलट से मुलाकात के बाद वेणुगोपाल ने मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि जब हम राजस्थान पर फैसला करेंगे, तो सभी को जरूर बताएंगे. जयपुर में सचिन पायलट के अनशन से पहले राजस्थान कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने उन्हें अनशन न करने की चेतावनी दी थी. हालांकि, पायलट ने उनकी चेतावनी पर अमल नहीं किया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि ‘राजस्थान को किसी भी हाल में पंजाब नहीं बनने दिया जाएगा’.
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राजस्थान में ‘पंजाब की चूक’ नहीं दोहराना चाहती कांग्रेस
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुखजिंदर रंधावा द्वारा पायलट के विरोध के खिलाफ नोटिस जारी किए जाने के बावजूद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूर्व डिप्टी सीएम के खिलाफ कार्रवाई करने को इच्छुक नहीं है. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व हर कीमत पर राजस्थान में पंजाब जैसी स्थिति से बचने की कोशिश कर रहा है. आपको याद दिला दें कि 2022 में, पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू और तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मनमुटाव के चलते बड़ी उथल-पुथल देखी, जिसके कारण अंततः पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को नया सीएम बना दिया. पंजाब चुनाव में कांग्रेस की पराजय के लिए आंशिक रूप से अंतिम-क्षणों के इन परिवर्तनों और नेताओं के बीच सार्वजनिक मनमुटाव को जिम्मेदार ठहराया गया था.
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FIRST PUBLISHED : April 14, 2023, 09:13 IST