Home National कम नहीं हो रहीं सचिन पायलट की मुश्किलें, गहलोत के एक प्लान ने कैसे बढ़ाई टेंशन; समझिए

कम नहीं हो रहीं सचिन पायलट की मुश्किलें, गहलोत के एक प्लान ने कैसे बढ़ाई टेंशन; समझिए

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कम नहीं हो रहीं सचिन पायलट की मुश्किलें, गहलोत के एक प्लान ने कैसे बढ़ाई टेंशन; समझिए

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Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा है। नेतृत्व परिवर्तन की जो अटकलें लगाई जा रही थीं, वह अब जमीन पर उतरती नहीं दिख रही हैं। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान से जीवनदान मिल गया है और वे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पिछले साल सितंबर महीने में गहलोत के करीबियों की बगावत के बाद शुरू हुए घटनाक्रम में लगने लगा था कि सचिन पायलट को कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। गहलोत और पायलट के बीच सालों से 36 का आंकड़ा रहा है। अब मुख्यमंत्री के रिटायरमेंट प्लान को लेकर दिए एक बयान ने पायलट की मुश्किलें और चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, राजस्थान का बजट पेश करने के बाद अशोक गहलोत ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह रिटायरमेंट तो अंतिम सांस तक नहीं लेंगे। इसके बाद से सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या सचिन पायलट का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का सपना आने वाले कुछ सालों में पूरा हो सकेगा या नहीं।

रिटायरमेंट पर क्या बोले गहलोत?

एक टीवी चैनल से इंटरव्यू के दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि मैं रिटायरमेंट अंतिम सांस तक नहीं लूंगा। 50 साल राजनीति में हो गए हैं। 20 साल की उम्र थी, जब राजनीति में आ गया था। तभी से पीछे मुड़कर नहीं देखा। इतने साल बीत गए। सोनिया गांधी ने विश्वास करके मुझे राजस्थान का सीएम बनाया तो कुछ सोचकर ही बनाया होगा। इसके अलावा गहलोत ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी का भी जिक्र किया। रिटायरमेंट को लेकर गहलोत का बयान पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के लिए झटका माना जा रहा है। सियासी गलियारें में अटकलें थीं कि अशोक गहलोत का यह आखिरी टर्म हो सकता है। अशोक गहलोत की गिनती सोनिया गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। पिछले साल जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव हुए तो गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात हुई, लेकिन गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में राजस्थान में काफी बवाल हुआ और विधायकों ने इस्तीफे तक स्पीकर को सौंप दिए। सूत्रों के अनुसार, इस वजह से राहुल और प्रियंका गांधी अपने करीबी सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनवा सके। बाद में अटकलें लगने लगीं कि गहलोत का यह आखिरी टर्म हो सकता है, जिसके बाद सचिन पायलट को राजस्थान में कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है।

ज्यादातर विधायक गहलोत के पक्ष में, पायलट के लिए राह आसान नहीं

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा से दावा करते रहे हैं कि ज्यादातर विधायक उनको ही मुख्यमंत्री बने रहना देखना चाहते हैं। जब सितंबर महीने में करीबियों ने बगावत की तब यह साफ हो गया कि अधिकतर विधायक अशोक गहलोत के समर्थन में ही हैं। 80 से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे की बात सामने आई। वहीं, पायलट गुट का समर्थन करने वालों में महज 20 के आसपास विधायक ही हैं। गहलोत का समर्थन करने वालों में ज्यादातर ऐसे विधायक शामिल हैं, जोकि सचिन पायलट को बतौर मुख्यमंत्री देखना नहीं चाहते। हालांकि, पायलट दावा करते रहे हैं कि यदि सभी विधायकों से अलग-अलग राय पूछी जाए तो ज्यादातर उनका समर्थन करेंगे। ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल नहीं होने की वजह से राजस्थान के वर्तमान सियासी माहौल में सचिन पायलट के लिए राह आसान नहीं लग रही है। कांग्रेस राजस्थान में हर बार सरकार बदलने के ट्रेंड को चेंज करने के लिए बेकरार है। पिछले दिनों सामने आए बजट में युवाओं से लेकर किसानों तक के लिए सरकार ने कई बड़े ऐलान भी किए। ऐसे में यदि कांग्रेस सरकार सत्ता में वापस आती है तो संभावना है कि ज्यादातर विधायक अशोक गहलोत को ही चुनें। वहीं, यदि राज्य में सत्ता परिवर्तन भी हो जाता है तो भी अशोक गहलोत पीछे हटके सचिन पायलट के लिए आगे का रास्ता छोड़ने वाले नहीं हैं। इस वजह से एक्सपर्ट मान रहे हैं कि गहलोत और पायलट के बीच का विवाद जल्द खत्म नहीं होगा। यदि पायलट को भविष्य में राजस्थान की कमान संभालनी है तो ज्यादातर विधायकों और पार्टी नेताओं का समर्थन हासिल करना होगा, जोकि गहलोत के अंतिम सांस तक रिटायरमेंट नहीं लेने के बयान से आसान होता हुआ नहीं दिख रहा है।

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