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करियर में तरक्की के लिए भानु सप्तमी पर करें सूर्य देव की आराधना

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करियर में तरक्की के लिए भानु सप्तमी पर करें सूर्य देव की आराधना

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हाइलाइट्स

करियर में सफलता के लिए भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की आराधना करें.
इस दिन सूर्य मंत्र और सूर्य अष्टकम का पाठ लाभकारी माना जाता है.

Bhanu Saptami 2023 : रविवार 25 जून 2023 को हिंदू पंचांग के अनुसार भानु सप्तमी मनाई जा रही है. इस दिन सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से मनुष्य को करियर में नए आयाम, कारोबार में मुनाफा और सेहत में लाभ की प्राप्ति होती है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि रथ सप्तमी तिथि के दिन है सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ था. इस दिन सूर्य देव की उपासना कर मनुष्य अनेक तरह के लाभ प्राप्त कर सकता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं सूर्य देव की आराधना के लिए कुछ मंत्र और भानु अष्टकम का पाठ करना लाभकारी होता है. इस दिन इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

सूर्य मंत्र
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

सूर्य वैदिक मंत्र

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

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सूर्य तांत्रिक मंत्र

ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम

ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री

ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:

ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:

सूर्य गायत्री मंत्र

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

सूर्य पौराणिक मंत्र

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

सूर्य अष्टकम

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥

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सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥

अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

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