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Karnataka Assembly Elections: चुनावी राज्य कर्नाटक में विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी पार्टियां समीकरण तैयार करने में जुटी हुई हैं। राज्य के प्रमुख लिंगायत समुदाय के कांग्रेस नेताओं ने 224 सीटों वाली विधानसभा चुनाव में 55 सीटों के लिए टिकटों की मांग की है। चुनाव के ऐलान से पहले ही कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की तरफ सियासी पार्टियों का खासा झुकाव देखने को मिला। कांग्रेस ने 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अब तक उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी की है। 124 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 25 मार्च को और दूसरी 42 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट 6 अप्रैल को जारी की गई। इन 166 टिकटों में से 43 उम्मीदवारों को लिंगायत समुदाय से चुना गया है। बता दें कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में लिंगायतों को 43 टिकट ही आवंटित किया था। हालांकि, बचे हुए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करना अभी बाकी है।
प्रमुख लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करने के बीजेपी के फैसले को कांग्रेस पार्टी अपने लिए एक मौके के तौर पर देख रही है। कांग्रेस के लिंगायत समूह का मानना है कि चुनाव में राज्य के सबसे बड़े समुदाय का समर्थन हासिल करने का यह एक अच्छा मौका है, भले ही उनकी पार्टी लिंगायत को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश नहीं कर रही है।
राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और लिंगायत नेता ईश्वर खंड्रे ने कहा कि लिंगायत नेताओं ने एक महीने पहले समुदाय के सदस्यों के लिए अधिक टिकट की मांग उठाई थी। कांग्रेस की उम्मीदवारों की पहली दो लिस्ट में स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि पार्टी इस बार 2018 के मुकाबले लिंगायतों को अधिक टिकट देने के मूड में है।
लिंगायतों में हैं कांग्रेस की गहरी पैठ
हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है लिंगायत बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस का अपना प्रभाव है। कांग्रेस ने हमेशा बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 38% वोट पाकर कांग्रेस ने बीजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया और बीजेपी के 36.22% से थोड़ा आगे निकल आई। पांच साल पहले, कांग्रेस को 36.59% वोट मिले थे, जिससे बीजेपी तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी। 2018 के विधानसभा चुनावों में भी कड़ी टक्कर के कारण बीजेपी विधानसभा में बहुमत से पीछे रह गई थी।
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