Home Life Style कश्मीर में माता खीर भवानी मेला 3 जून से शुरू, आतंकी खतरे के बाद भी श्रद्धालुओं का लगा तांता, जानें मंदिर की खास बातें

कश्मीर में माता खीर भवानी मेला 3 जून से शुरू, आतंकी खतरे के बाद भी श्रद्धालुओं का लगा तांता, जानें मंदिर की खास बातें

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कश्मीर में माता खीर भवानी मेला 3 जून से शुरू, आतंकी खतरे के बाद भी श्रद्धालुओं का लगा तांता, जानें मंदिर की खास बातें

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Mata Kheer Bhawani Mela 2025: पवित्र वार्षिक माता खीर भवानी मेला 3 जून शुरू होने वाला है. हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह मेला लगता है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहली बार यह मेला आयोजन हो …और पढ़ें

माता खीर भवानी मेला 3 जून से, आतंकी खतरे के बाद भी श्रद्धालुओं लगा तांता

हाइलाइट्स

  • माता खीर भवानी मेला 3 जून से शुरू होगा.
  • पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार.
  • मंदिर का जल कुंड भविष्य की घटनाओं का संकेत देता है.

Mata Kheer Bhawani Mela 2025: पवित्र वार्षिक माता खीर भवानी मेला नजदीक आने के साथ ही पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले से विचलित हुए बिना बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में पहुंचने लगे हैं. भारतीय सशस्त्र बलों में अटूट आस्था के साथ, भक्तगण विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय 3 जून को तुल्लामुल्ला के ऐतिहासिक रागन्या देवी मंदिर में अपने सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक को मनाने की तैयारी कर रहे हैं. मेले में भारत और विदेश से श्रद्धालु आने से देवी दुर्गा के अवतार, देवी राज्ञ देवी को समर्पित यह मंदिर प्रत्येक वर्ष धार्मिक उत्साह का केंद्र बिंदु बन जाता है.

पहलगाम आतंकी घटना के बाद भी उत्साह बरकरार
22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना के बाद बढ़े तनाव के बावजूद तीर्थयात्रियों का उत्साह बरकरार है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे क्षेत्र में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है. अधिकारियों ने कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए पेयजल आपूर्ति और आवश्यक सुविधाओं सहित सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं. साल 1990 के पलायन के दौरान विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों ने कहा कि उनकी भक्ति पहले से कहीं अधिक मजबूत बनी हुई है. उन्होंने पहलगाम हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करने के लिए भारत सरकार और सशस्त्र बलों की सराहना की और इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का करारा जवाब बताया.

मंदिर का कुंड है बेहद चमत्कारी
माता खीर भवानी मेले का धार्मिक महत्व विशेष रूप से कश्मीर क्षेत्र और शाक्त परंपरा में बहुत उच्च स्थान रखता है. यह मेला माता खीर भवानी को समर्पित है, जो देवी राग्या (या राग्य देवी) का रूप मानी जाती हैं और विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों के लिए पूजनीय हैं. खीर भवानी देवी को दुर्गा या पार्वती के रूप में पूजा जाता है. खीर यानी दूध और चावल की मिठाई देवी को चढ़ाई जाती है, जिससे उन्हें यह नाम प्राप्त हुआ. मंदिर परिसर में एक जल कुंड है, जिसके जल का रंग विभिन्न अवसरों पर बदलता रहता है. यह माना जाता है कि यह रंग भविष्य के शुभ-अशुभ घटनाओं की ओर संकेत करता है. काले रंग को अपशकुन और दूधिया सफेद या हल्का रंग शुभ माना जाता है.

सामाजिक पुनर्मिलन का बनता है अवसर
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हर वर्ष यहां वार्षिक मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं. यह दिन देवी को विशेष अर्पण और साधना का होता है. खीर भवानी मंदिर कश्मीरी पंडितों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. कश्मीरी पंडितों के लिए यह मंदिर तीर्थ यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, और यह मेला उनके सामाजिक पुनर्मिलन का भी अवसर बनता है.

चंद्र और शुक्र ग्रह होते हैं मजबूत
कई बार इस स्थान को भारत की एकता और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक भी माना गया है. यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों की सहभागिता रही है. हालांकि माता खीर भवानी मेले का सीधा उल्लेख प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में नहीं मिलता, लेकिन देवी की उपासना का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है, जो भक्ति, समर्पण, और स्त्री शक्ति के प्रतीक हैं. खीर (चंद्र का प्रतीक — शांति, पोषण) और भवानी (शक्ति का रूप) की संयुक्त आराधना जीवन में मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करती है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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