हाइलाइट्स
सांसों से संबंधित वायरस के विकसित होने की सूचना अर्ली वार्निंग सिस्टम में पहुंच जाएगी.
कोरोना वायरस और अन्य अनजान वायरस का समय समय पर जीनोमिक सर्वे किया जाएगा
Prediction of future pandemic: कोरोना महामारी को लगभग तीन साल से ज्यादा होने वाला है लेकिन अब तक इसका कहर जा नहीं रहा है. पिछले कुछ दिनों से अपने देश में भी कोरोना ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है. लेकिन जरा सोचिए अगर कोरोना महामारी का पता हमें एक साल पहले लग जाता तो संभवतः इतना बड़ा नुकसान नहीं हो पाता. बेशक ऐसा इस बार संभव नहीं हो सका लेकिन अब यदि इस तरह की महामारी आई तो इसका पता पहले लगा लिया जाएगा. ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने इसके लिए ऐसी तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है जो भविष्य में महामारी की भविष्यवाणी पहले ही कर देगी. इसे जेनेटिक अर्ली वार्निंग सिस्टम नाम दिया गया है.
इस तकनीक में वायरस के डीएनए सीक्वेंस को विकसित किया जाएगा और सांसों से संबंधित वायरस के विकास और संक्रमण को ट्रैक किया जाएगा. दरअसल, इस तकनीक में इंफ्लूएंजा वायरस, आरएसवी वायरस, कोरोना वायरस और अन्य अनजान वायरस का समय समय पर जीनोमिक सर्वे किया जाएगा और इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि भविष्य में यह महामारी फैलाने के लिए कितना सक्षम है.
अर्ली वार्निंग सिस्टम में तैयार होगा वायरस का सीक्वेंस
इंडियाटूडे की खबर के मुताबिक कैंब्रिज में वेलकम सैंगर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने भविष्य में कहर मचाने की क्षमता रखने वाले इस तरह के वायरस की पहचान करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है जिसके तहत भविष्य में इस तरह की महामारी न आए. इसके लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया जाएगा. अर्ली वार्निंग सिस्टम में इस तरह के जोखिम वाले वायरस का जीनोमिक सीक्वेंस तैयार होगा जिसका विश्लेषण कर पता लगाया जाएगा कि यह वायर महामारी फैलाने की क्षमता रखता है या नहीं. वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से सबक लेते हुए सार्स कोविड वायरस के जीनोमिक सीक्वेंस के प्रति मानक पहुंच बनाने की योजना बनाई है. इसके तहत सभी तरह के संभावित वायरसों के जीनोमिक सीक्वेंस के लिए एक ही तकनीक का सहारा लिया जाएगा. चाहे कोई भी वायरस हो यदि उसमें महामारी फैलाने की क्षमता है तो इसका पता अर्ली वार्निंग सिस्टम द्वारा लगा लिया जाएगा.
अन्य चीजों का भी पता लगेगा
वैज्ञानिकों के इस पहल से सांसों से संबंधित वायरस के विकसित होने की सूचना अर्ली वार्निंग सिस्टम में पहुंच जाएगी. इसके बाद इस वायरस के बारे में गहरी समझ को विकसित किया जा सकता है. इसके अलावा इस वायरस में संक्रमण और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने की कितनी क्षमता है, इसका भी पता लगा लिया जाएगा. इसके साथ ही सांसों की नली में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के बारे में भी समझ विकसित हो सकेगा. इस प्रोजेक्ट के प्रमुख इवान हैरीसन ने गार्जियन अखबार को बताया कि ब्रिटेन कोविड-19 की जीनोमिक सर्विलांस में सबसे आगे था और महामारी के दौरान पूरी दुनिया में Sars-CoV-2 के जितने भी जीनोम चिन्हित किए गए, उनमें लगभग 20 हिस्सा ब्रिटेन में ही चिन्हित किए गए थे. हमने कोरोना महमारी के दौरान सार्स कोविड 2 से संबंधित वायरस के जितने डाटा एकत्र किए उससे हमें अभूतपूर्व गति और सटीकता के साथ इस तरह की निगरानी के लिए तकनीक विकसित करने में सक्षम है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Corona, Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : April 04, 2023, 20:58 IST