Home Life Style कहीं हाथ दिखाती मिली यह लड़की तो गाड़ी रोकेंगे आप? चौंक जाएंगे जानकर कि क्यों सबसे ले रही लिफ्ट!

कहीं हाथ दिखाती मिली यह लड़की तो गाड़ी रोकेंगे आप? चौंक जाएंगे जानकर कि क्यों सबसे ले रही लिफ्ट!

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कहीं हाथ दिखाती मिली यह लड़की तो गाड़ी रोकेंगे आप? चौंक जाएंगे जानकर कि क्यों सबसे ले रही लिफ्ट!

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पुणे. एक लड़की है जो महाराष्ट्र में आपको लिफ्ट मांगती दिखेगी. कंधे पर एक बैग, आम तौर से ट्रेक सूट पहने हुए और चश्मा लगाए यह लड़की अजनबियों से लिफ्ट मांगते हुए आधे से ज्यादा महाराष्ट्र राज्य घूम चुकी है. अपने कुछ सवालों के जवाब तलाशने के लिए परिवार की लाख समझाइशों के बाद भी यह लड़की राज्य भर में घूम रही है, अकेले एक टेंट में रातें बिताते हुए लोगों से लिफ्ट लेते हुए… कहानी जितनी जोखम भरी है, जिद और वजह भी उतनी ही दिलचस्प व हैरतअंगेज.

इस लड़की का नाम है कंचन जाधव. परभणी ज़िले के सेलू गांव की रहने वाली कंचन छत्रपति संभाजी नगर से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही है. पिछले करीब 34 दिनों की यात्रा के दौरान कंचन ने लगभग 22 जिलों की खाक छान ली है और इन दिनों पुणे के पास हैं. यहां से वह सातारा की तरफ मूव करने वाली है. अब सवाल यह है कि कंचन लिफ्ट लेकर पूरा राज्य क्यों घूम रही है? उसके सवाल क्या हैं और उसके परिवार ने अपनी बेटी को ऐसी यात्रा की इजाजत कैसे दी?

कंचन दत्तात्रेय जाधव ने जर्नलिज्म की अपनी पढ़ाई के दौरान कुछ ऐसी रिपोर्ट्स पढ़ीं, जिन्होंने बेचैन किया. अपने स्कूल टीचर पिता को कंचन ने बताया कि ऐसी कितनी ही कहानियां हैं, जिन्हें दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए और इसके लिए अंदरखाने तक की रिपोर्टिंग, जमीनी पड़ताल जरूरी है. बात तो ठीक थी, लेकिन एक बाप अपनी बेटी को यह इजाजत कैसे देता कि वह अकेले, अजनबियों से लिफ्ट मांग-मांगकर पूरे राज्य की पड़ताल करे! मां को तो खैर यह कतई गवारा न होता.

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अपनी इस अनोखी यात्रा का खर्च भी कंचन खुद ही उठा रही हैं.

आखिर कैसे राजी हुए मां-बाप?

समाज पितृसत्तात्मक है. लड़कियों क्या पहनें, किस समय तक बाहर रहें, अकेले कहीं जाएं या नहीं! तमाम पाबंदियों के बावजूद क्या महिलाएं सुरक्षित महसूस कर पाती हैं? ऐसे सवाल अब भी खड़े हैं. एक साल लगा कंचन को अपने पापा को मनाने में. तरह-तरह के किस्से, रिपोर्ट्स और तर्क देते हुए कंचन अपनी जिद पर अड़ी रही. आखिरकार उनके पापा ने किसी तरह सहमत होते हुए कहा ‘एक हफ्ता कर अपने मन की, एक्सपीरिएंस ठीक रहा तो आगे सोचेंगे’. यहां से कंचन की ड्रीम जर्नी सड़क पर शुरू हुई.

एमजीएम काॅलेज की स्टूडेंट कंचन ने छत्रपति संभाजी नगर से अप्रैल में अपनी यात्रा शुरू की. बहुत कम और जरूरी सामान साथ रखा. एक फोल्डेबल टेंट भी. यों तो वह किसी होटल, लाॅज या किसी परिचित के यहां भी रात को रुक जाती हैं, लेकिन कुछ एक बार वह किसी सड़क किनारे टेंट लगाकर भी रात काट चुकी हैं. 2000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर लिफ्ट लेकर कर चुकी कंचन को देखकर सबको हैरत होती ही है, सवाल भी उठता है इसकी तलाश क्या है?

किन पुरुषों से खतरा ज्यादा होता है?

कंचन से आज 19 मई को फोन पर बात हुई तो उसने बताया ‘अब बस 8-10 जिले ही बचे हैं और अब तक का अनुभव संतोषजनक रहा है.’ कंचन जिस सवाल का पीछा इस तरह कर रही है, वह यह है कि महाराष्ट्र लड़कियों के लिए कितना सेफ है? क्या एक अकेली लड़की इस राज्य में कहीं भी आ-जा सकती है? सफर के साथ अपनी डायरी लिख रही कंचन ने अब तक जो पाया, वह उसे इस तरह बयान करती है कि आपके भीतर भी एक हौसला तैर जाए.

कंचन बताती है ‘लोग अच्छे हैं. कुछ ने मुझे बेटी की तरह मानकर अपना नंबर दिया तो कुछ ने बहन की तरह समझकर कि कोई मुश्किल हो तो मैं उन्हें फोन करूं… मुझे मेरी टीचर ने कहा था अजनबियों से नहीं बल्कि उन परिचित पुरुषों की द्वेष भावना से लड़कियों को खतरा ज्यादा होता है.’ आम तौर से सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे के बीच सफर करने वाली कंचन गर्मियों की वजह से अब दोपहर में ब्रेक लेती है. शाम को 4 बजे से यात्रा करती है और अंधेरा होने तक भी जारी रख लेती है. यह हिम्मत उसे अब तक के अनुभव से मिली है.

मां को तो अब तक नहीं पता कि कंचन…

कंचन ने अपनी यात्रा के दौरान कुछ दिलचस्प बातें नोट की हैं. उसका कहना है कि बहुत अमीर लोग मददगार नहीं होते. गरीब या मध्यम वर्गीय लोग ही लिफ्ट देते हैं. कंचन ने एक और ऑब्जर्वेशन साझा किया कि लोडिंग गाड़ियों को चूंकि लंबी ड्राइव करनी होती है इसलिए उसके ड्राइवर आदि दारू बहुत पीते हैं. गाड़ी सेफ ढंग से भी नहीं चलाते सो उसे उनसे लिफ्ट लेकर अक्सर डर ही लगा.

डर अपनी जगह लेकिन कंचन का हौसला जीत रहा है. ‘अब तक मुझे कोई खतरा नहीं हुआ. मुझे अपने महाराष्ट्र पर गर्व महसूस होता है.’ अपनी यात्रा के दौरान कहानियां अपनी डायरी में लिख रही जर्नलिज्म की यह स्टूडेंट बहुत उत्साहित है. हंसकर बताती है ‘पापा किसी तरह माने, आई को तो यही पता है कि काॅलेज के किसी प्रोजेक्ट के लिए निकली हूं.’ अपने जवाब खुद खोजने निकली यह बेटी आपको रास्ते में कहीं मिले तो आप उसे महाराष्ट्र पर और गौरवान्वित महसूस करवाते रहिएगा…

Tags: Journalist, Maharashtra News, Women Empowerment, Women Safety

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