Home Life Style कान में कभी भूलकर भी न डालें सरसों का तेल, होगी भयंकर परेशानी, डॉक्टर से जान लें कैसे करें साफ, चुंबक की तरह निकलेगी पीली गंदगी

कान में कभी भूलकर भी न डालें सरसों का तेल, होगी भयंकर परेशानी, डॉक्टर से जान लें कैसे करें साफ, चुंबक की तरह निकलेगी पीली गंदगी

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कान में कभी भूलकर भी न डालें सरसों का तेल, होगी भयंकर परेशानी, डॉक्टर से जान लें कैसे करें साफ, चुंबक की तरह निकलेगी पीली गंदगी

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Ear Wax Cleaning Tips: अगर आप कान में सरसों का तेल डालते हैं या कुछ भी डालते हैं तो सतर्क हो जाएं. इससे भयंकर बीमारी हो सकती है. कान के डॉक्टर से इस बारे में जानिए.

कान में कभी भूलकर भी न डालें सरसों का तेल, होगी भयंकर परेशानी, डॉक्टर से जानें

कान में सरसों का तेल.

हाइलाइट्स

  • कान में सरसों का तेल डालना खतरनाक है.
  • कान की सफाई के लिए डॉक्टर से सलाह लें.
  • वैक्स सेल्फ क्लिनिंग प्रोपर्टीज होती है.

Ear Wax Cleaning Tips: हमारे शरीर में कान बेहद संवेदनशील अंग है. आमतौर पर आपको लगता होगा कि कान से सिर्फ सुनाई देने का काम होता है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. कान सुनाई देने के अलावा शरीर को बैलेंस भी रखता है. हमारे कान अंदरुनी हिस्से में सेमीसर्कुलर केनाल होता है जिसमें तरल पदार्थ भरा होता है. इस द्रव में बालों जैसे आकार की एक चीज होती है. अगर शरीर में हलचल होती है तो इस बाल के माध्यम से ही दिमाग को यह संदेश पहुंचता है. आपका मस्तिष्क संकेत भेजता है आपके मांसपेशियों को ताकि आप संतुलित रह सकें. इसलिए कान सिर्फ सुनाई देने वाले अंग नहीं है. इसके कई काम है. पर कान के साथ हम लोग अक्सर खिलवाड़ करते हैं. हममें से कई ऐसे होते हैं जो कानों में तेल डाल लेते हैं. जैसे ही लगा कि कान में वैक्स कठोर हो गया है वह सरसों का तेल लगा लेते हैं. क्या ऐसा करना ठीक है. इस विषय में हमने बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल, दिल्ली में ईएनटी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. पंकज कुमार से बात की.

सरसों का तेल क्यों नहीं डालना चाहिए
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि कान में सरसों तेल तो छोड़िए किसी भी तेल को कान में लेना खतरनाक है. तेल ही नहीं कुछ अन्य चीजों को भी कान के अंदर नहीं डालना चाहिए. ऐसा कर आप खुद को बीमारी की चपेट में धकेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में कुछ लोग सरसों का तेल लगाते थे. उससे भी दिक्कत होती है. चूंकि उनके पास डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते थे, इसलिए ऐसा करते थे लेकिन उस जमाने में भी कभी-कभी गर्म तेल लेने के कारण कान का पर्दा जल जाता है. कान का पर्दा बहुत पतला होता है. टेंपेनिक मेंब्रेन का थिकनेस 0.1 मिलीमीटर होता है. हमारी स्किन से 10 गुना पतला होता. अगर इसमें गर्म तेल चला गया तो यह जल जाएगा.अगर आप सरसों का नॉर्मल तेल भी डालते हैं तो यह भी नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि तेल डालने से कान के अंदर मॉइश्चर बढ़ेगा जिससे वहां बैक्टीरिया के पनपने की आशंका बढ़ जाएगी. कान के अंदर फंगस लग सकता है. इससे इंफेक्शन बढ़ेगा.

कान से मैल क्यों नहीं निकालना चाहिए
डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि कान से मैल निकालने की भी जरूरत नहीं है. अगर इस मैल या वैक्स में कोई वैक्टीरिया या फंगस नहीं है तो रूटीन में कभी भी कान से मैल निकालने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि वैक्स सेल्फ क्लिनिंग प्रोपर्टीज है. यानी यह कान को खुद साफ कर देता है. वैक्स के कई फायदे भी हैं. यह कर्ण नलिकाओं के उपर जमी परत को सूखने या उनमें दरार पड़ने से रोकता है. इसके साथ ही पानी, धूलकणों और संक्रमण से भी बचाता है. यह लाउड साउंड से प्रोटेक्ट करता है. कान की सफाई के लिए कभी भी घी,तेल या पकाया हुआ लहसुन का तेल कान में नहीं डालना चाहिए. इससे फंगल इंफेक्शन हो सकता है. इसके अलावा, ईयरबड, हेयर क्लिप, माचिस की तीलियां आदि का भी कान में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे मोम कान के और अंदर जाकर खतरा पैदा कर सकता है.

कान का मैल फिर कैसे साफ करें
डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि हमारा सिस्टम इस तरह से बना है कि कान से मैल निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि यह खुद ही साफ कर लेता है. इसे ऐसे ही छोड़ दें. अगर इसकी जरूरत होती है तो डॉक्टर से मिलें. डॉक्टर वैक्स को निकालने के लिए वैक्स सॉफ्टनिंग ड्रॉप लेने की सलाह देते हैं. इससे वैक्स सॉफ्ट होकर खुद ही निकल जाता है. अगर नहीं निकले तो फिर उसे क्लीजिंग करते हैं. इसके बाद माइक्रोसेक्शन से कान को साफ किया जाता है. यह सिर्फ डॉक्टर ही करते हैं. यह भी अगर इंफेक्शन है तभी निकालते हैं. यानी वैक्स में अगर इंफेक्शन है या बैक्टीरिया, फंगस है तभी निकालते हैं. अगर इंफेक्शन नहीं है तो रूटीन में इसे निकालने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए कान के मामले में सिर्फ डॉक्टरों से ही दिखाएं.

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LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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