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काशी में गुरुवार से तीन दिन संत समागम का आयोजन हो रहा है। इस दौरान काशी विश्वानाथ मंदिर के प्रमुख द्वारों से आम लोगों को एंट्री नहीं मिलेगी। आम लोग ढूंढीराज गणेश और सत्यनारायण मंदिर के सामने स्थित नंदू फेरिया गली से एंट्री कर सकेंगे। काशी में गुरुवार से तीन दिवसीय संस्कृति संसद के संत समागम में शंकराचार्य के नेतृत्व में देशभर से सैकड़ों की संख्या में महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, संत और विद्वान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचेंगे। तीन दिवसीय आयोजन के पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में महारुद्राभिषेक का आयोजन होना है।
इसको लेकर दर्शनार्थियों के दर्शन की सुविधा में मंदिर प्रशासन ने परिवर्तन किया है। शाम 4 बजे से लेकर 7 बजे तक प्रमुख द्वारों गेट नंबर चार और गंगा द्वार से भी एंट्री नहीं होगी। केवल बांसफाटक पर स्थित सत्यनारायण मंदिर के सामने नंदू फेरिया गली और ढूंढीराज गणेश प्रवेश द्वार से ही दर्शनार्थियों को प्रवेश मिलेगा।
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि इस संत समागम में संतों महात्माओं की संख्या अत्यधिक है, दूसरा इनके दर्शन पूजन में व्यवधान न हो इसके लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का गंगा द्वार सरस्वती फाटक और गेट नंबर 4 से आम दर्शनार्थियों का प्रवेश नहीं होगा। शाम 4 बजे से 7 तक प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस दौरान सभी दर्शनार्थी केवल ढूंढीराज प्रवेश द्वार और नंदू फेरिया गली से मंदिर में प्रवेश करेंगे।
आम लोग कल चारों गेट की जगह केवल गर्भ गृह के पश्चिमी गेट से बाबा का दर्शन कर सकेंगे। बाकी तीन द्वारों से संतों का पूजन चलेगा। पूजन के दौरान ही उपराष्ट्रपति का भी आगमन है। ऐसे में इन दोनों बड़े आयोजनों के संपन्न होने के पश्चात सभी गेट आम दर्शनार्थियों के लिए खोले जाएंगे। संतों के होने वाले इस महारुद्र अभिषेक को लेकर मंदिर प्रशासन की ओर से विशेष तैयारी की गई है।
विभिन्न प्रांतों की संस्कृतियों की झलक मिलेगी
गंगा महासभा की ओर से आयोजित संस्कृति संसद में देश के विभिन्न प्रांतों की संस्कृतियों की झलक देखने को मिलेगी। यह जानकारी बुधवार को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने कैवल्य ज्ञान मंदिर में आयोजित प्रेसवार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व श्रीकाशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में होने वाले आयोजन के पहले दिन विश्वनाथ धाम में देश भर से आए चार सौ साधु-संत रुद्राभिषेक करेंगे। शेष तीन दिन रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम होंगे।
दूसरे दिन तीन नवंबर को धर्म विमर्श होगा। उद्घाटन स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती करेंगे। इसके बाद चारों वेदों का पाठ शुरू होगा। इस दौरान काशी दर्शन और शहर की विभूतियों की पोर्ट्रेट की प्रदर्शनी भी लगेगी। चार को मातृ व अंतिम दिन युवा विमर्श का सत्र चलेगा। इस दौरान संस्कृति संसद के संयोजक गोविन्द शर्मा, विधायक कैलाश खरवार, आयोजन सचिव सिद्धार्थ सिंह, विपिन सेठ, दीपक गिरि, अभिनव शंकर, साहिल सोनकर, प्रतीक शर्मा मौजूद रहे।