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– इस दिन किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए.
– छलनी से चांद और फिर पति का मुंह देखने से छलनी के सैकड़ों छेद की तरह पति की उम्र भी सैकड़ों वर्ष होती है.
– छलनी से चांद को देखने से तमाम विसंगतियों से मुक्ति मिलती है.
– छलनी से चांद को देखने से छल से बचने में मदद मिलती है.
– छलनी से चांद को देखने से खुशी और सकारात्मकता आपके आसपास रहती है.
– छलनी से चांद को देखने से कामना की जाती है कि जीवन में साथी के साथ कभी वियोग ना हो.
– छलनी से चांद को देखने से माना जाता है कि चंद्रमा का रूप, शीतलता, प्रेम, और प्रसिद्धि जैसे गुण पति को मिल जाएंगे.
कितनी पुरानी है छलनी
चलनी का इतिहास 3,000 साल पुराना है. एक पुरातत्वविद् ने सैक्सोनी में 3,000 साल पुरानी एक छलनी की खोज की थी. इसे धागों से बुनकर बनाया गया था. हालांकि शुरुआती मानव से पेड़ों और वनस्पतियों के जरिए छलनी बनाई होगी. वैसे छलनी को बनाने के पहले बुनाई का इस्तेमाल टोकरियां, जाल बनाने, और मवेशियों के लिए किया जाता रहा होगा.
घरों से लेकर कारखानों में इस्तेमाल
छलनी एक उपकरण है जिसका इस्तेमाल तरल पदार्थों से ठोस पदार्थों को या किसी चीज़ के बड़े टुकड़ों को छोटे टुकड़ों से अलग करने के लिए किया जाता है. ये लकड़ी से लेकर धातु या प्लास्टिक की बनी होती है. छानने के लिए उसमें नीचे चार या प्लास्टिक के धागों का जाल होता है. वैसे जरूरी नहीं कि सारी छलनी गोलाकार ही हो.
आमतौर पर बिल्डिंग निर्माण और औद्योगिक कामों में चौकोर छलनी का भी इस्तेमाल होता है, जो काफी बड़ी भी होती हैं.
घरों में किस तरह की छलनी होती ही है
अब आमतौर पर घरों में छलनी का इस्तेमाल आटा आदि छानने के लिए होता है लेकिन इसका अब घरों में भी कम होता जा रहा है. लेकिन हमारी रसोईं के कई बर्तन छलनीयुक्त ही होते हैं. एक छलनी जरूर हर भारतीय घर में अनिवार्य तौर पर होती है, वो है चाय को बनाने के बाद छानने वाली छलनी. ये आकार में छोटी होती है.
क्या इसकी शुरुआत मिस्र में हुई
इतिहासकार कहते हैं कि सबसे पहले अनाज की फसल से अनाज को अलग करने के लिए छनाई की शुरुआत प्राचीन मिस्र में हुई थी. अब तो खैर छानने की नई तकनीक आ चुकी है. नए तरीकों की फिल्टर तकनीक इसी से जुड़ी है.
कितने तरह की छलनियां
माना जाता है कि दुनियाभर में 5,000 से अधिक छलनियों का इस्तेमाल अलग अलग क्षेत्रों में घर से लेकर कारखानों में हो रहा है. ये अलग अलग गोलाई वाली होती हैं. हालांकि अलग इस्तेमाल में कई बार इनकी गहराई भी अलग हो सकती है.
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