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इजरायल-ईरान युद्ध में मोसाद की गुप्त रणनीति की वजह से ईरान के कई शीर्ष नेताओं का खात्मा हो गया है. ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी अपने बेडरूम में सो रहे थे. अचानक एक तेज धमाका हुआ और एक सटीक मिसाइल उनकी खिड़की से होकर दीवार को भेदती हुई बाहर निकल गई. कुछ ही सेकंड में बघेरी की मौत हो गई. उसी रात, रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर होसैन सलामी और आपातकालीन बलों के कमांडर गोलमाली रशीद भी अपने घरों में मारे गए. यह सब इजरायली सेना (IDF) और उनकी खुफिया एजेंसी मोसाद की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था, जिसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया गया. यह कहानी बताती है कि कैसे इजरायल ने ईरान के भीतर घुसकर बिना जमीनी युद्ध के ही शीर्ष नेताओं को खत्म कर दिया.
मोसाद ने ईरान में मचा रखी तबाही
मोसाद की रणनीति का एक हिस्सा था तकनीक. उन्होंने ईरान के भीतर गुप्त रूप से ड्रोन बेस स्थापित किए, जहां विस्फोटक ड्रोन और सटीक हथियार छिपाए गए. ये ड्रोन तेहरान के पास एस्फजाबाद बेस पर मौजूद सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को नष्ट करने के लिए तैयार थे. इसके अलावा, मोसाद ने साधारण दिखने वाले वाहनों में छिपे हथियार सिस्टम तैनात किए, जो रिमोट से सक्रिय हो सकते थे. इन हथियारों ने ईरान की हवाई रक्षा प्रणालियों को शुरूआती हमले में ही निष्क्रिय कर दिया, जिससे इजरायली वायुसेना को आसमान में पूर्ण नियंत्रण मिल गया.
13 जून 2025 की सुबह, जब इजरायली वायुसेना के 200 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर 330 से अधिक मुनिशन दागे, तब मोसाद के कमांडो और ड्रोन पहले से ही सक्रिय थे. एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने बताया, “हमने ईरानी नेताओं को उनके घरों में, उनके बिस्तरों में निशाना बनाया.” मोसाद ने बघेरी, सलामी और रशीद जैसे नेताओं के ठिकानों की रियल-टाइम जानकारी जुटाई थी, जिसके लिए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और मानव खुफिया का सहारा लिया.
Mossad से सावाधान
मोसाद ने न केवल सैन्य नेताओं, बल्कि छह परमाणु वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाया, जिनमें मोहम्मद मेहदी तहरांची और फेरेहदून अब्बासी शामिल थे. ये वैज्ञानिक ईरान के नतांज और फोर्डो परमाणु संयंत्रों से जुड़े थे. एक वीडियो में, जिसे मोसाद ने जारी किया, दो एजेंट रेगिस्तानी इलाके में सटीक हथियार सिस्टम तैनात करते दिखे, जो हवाई रक्षा प्रणालियों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे.
इस ऑपरेशन की सफलता का एक बड़ा कारण था इजरायल का छल. उन्होंने जानबूझकर यह अफवाह फैलाई कि हमला आसन्न नहीं है. इजरायली अधिकारियों ने मीडिया में बयान दिए कि वे अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता के लिए तैयार हैं, और कुछ मंत्रियों के अमेरिका दौरे की खबरें लीक की गईं. इसने ईरानी अधिकारियों को भरोसा दिलाया कि कोई तत्काल खतरा नहीं है. लेकिन उसी समय, मोसाद और IDF ने अपने हमले को अंतिम रूप दे दिया.
मोसाद ने पहले से ही ईरान की खुफिया सेवा में सेंध लगाई थी. पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने 2024 में दावा किया था कि ईरान की एक काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट का प्रमुख और 20 अन्य एजेंट मोसाद के लिए काम कर रहे थे. इन डबल एजेंटों ने ईरान के परमाणु और सैन्य कार्यक्रमों की गोपनीय जानकारी इजरायल को दी, जिसने इस ऑपरेशन को और घातक बनाया.
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