सुकुबा (जापान). रात की अच्छी नींद दिमाग और शरीर दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है. लेकिन वह क्या है जो ये तय करता है कि हमें कितनी नींद की जरूरत है, और क्या कारण है जिसके चलते हम ज्यादा गहरी नींद लेते हैं? सुकुबा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में मस्तिष्क की कोशिकाओं के भीतर एक सिग्नलिंग मार्ग की खोज की है जो नींद की लंबाई और गहराई को नियंत्रित करता है. इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर हिरोमासा फनाटो कहते हैं, “हमने चूहों में जेनेटिक म्यूटेशंस की जांच की कि यह कैसे उनकी नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है.” उन्होंने कहा, “हमने एक म्यूटेशन की पहचान की जिसके कारण चूहों को सामान्य से अधिक लंबी और गहरी नींद आती है.” शोधकर्ताओं ने पाया कि यह हिस्टोन डीएसेटाइलेज़ 4 (HDAC4) नामक एक एंजाइम के निम्न स्तर के कारण होता है, जिसे लक्ष्य जीन की अभिव्यक्ति को दबाने के लिए जाना जाता है.
HDAC4 पर पिछले अध्ययनों से पता चला है कि यह फॉस्फोराइलेशन नामक प्रक्रिया में फॉस्फेट अणुओं के लगाव से बहुत प्रभावित होता है. जब ऐसा होता है, तो HDAC4 कोशिका के केंद्रक से दूर जाने लगता है, और कुछ प्रोटीनों का दमन कम हो जाता है. शोधकर्ता ये जानना चाहते थे कि क्या HDAC4 का यह फॉस्फोराइलेशन नींद को प्रभावित करेगा.
प्रोफेसर फनाटो ने कहा, “हम एक प्रोटीन पर फोकस करते हैं जिसे सॉल्ट-इंड्यूसिबल किनासे 3 कहा जाता है, या फिर जिसे SIK3 के रूप में जाना जाता है, जो HDAC4 को फॉस्फोराइलेट करता है.” उन्होंने कहा, “हमने पहले पाया कि इस प्रोटीन का नींद पर गहरा प्रभाव पड़ता है.” टीम ने पाया कि जब SIK3 की कमी हुई या जब फॉस्फोराइलेशन को रोकने के लिए HDAC4 को संशोधित किया गया, तो चूहे कम सोए. इसके विपरीत, जब चूहों के पास SIK3 का अधिक सक्रिय संस्करण था, जिसने HDAC4 के फॉस्फोराइलेशन को बढ़ा दिया, तो वे बहुत अधिक सोए. उन्होंने एक और प्रोटीन, LKB1 की भी पहचान की, जो SIK3 को फॉस्फोराइलेट करता है, और इसकी कमी होने पर समान नींद-दबाने वाले प्रभाव होते हैं.
इसके नतीजों से ये साफ पता चलता है कि किस तरह नींद को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके साथ ही साथ इससे नींद से जुड़े विकारों को साथ-साथ नए उपचारों को लेकर ज्यादा समझ पैदा कर सकता है.
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Tags: Better sleep, Research
FIRST PUBLISHED : December 13, 2022, 22:21 IST