वेद प्रकाश/ऊधम सिंह नगर: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. जब सूर्य कुंडली में मजबूत होता है तो व्यक्ति का स्वयं पर आत्मविश्वास बढ़ता है. इसके साथ उस व्यक्ति को राज योग की प्राप्ति होती है. वहीं, कुंडली में सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के समस्याएं आ जाती हैं. मसलन वह व्यक्ति आत्मविश्वास, राजनीतिक सफलता, पारिवारिक संबंध, स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों में लगातार कमजोर होने लगता है.
बहरहाल, सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है, इसीलिए कुंडली में सूर्य की स्थिति का जीवन पर विशेष महत्व पड़ता है. जब कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, तो जातकों के जीवन में प्रतिदिन उन्नति होती है. वहीं, जब कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मान्यता है कि कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इसके साथ पीपल और आम के वृक्ष की जड़ पर जल अर्पित करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और कुंडली में राजयोग की संभावना बनती है.
कुंडली में सूर्य के मजबूत होने पर बनते हैं ये योग
लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के वरिष्ठ आचार्य पंडित अरुणेश मिश्रा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है. इसी वजह से सूर्य की गति का जातक के जीवन पर सबसे ज्यादा असर दिखाई देता है. जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन जातकों को कारोबार, स्वास्थ्य, संबंध, जीवन यापन करने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा जिन जातकों की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है, उनको प्रतिदिन नए नए मुकाम हासिल होते हैं. कुंडली में सूर्य के मजबूत होने पर वेशि राजयोग, वाशि राजयोग और उभयचारी राजयोग बनता है.
वेशि राजयोग: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह के होने पर वसी योग बनता है, लेकिन यह ग्रह चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होने चाहिए, तब जाकर इस योग से शुभ फल की प्राप्ति होती है. वेशि राजयोग वाले जातकों के जीवन की शुरुआत में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि आगे चलकर जीवन में धन-संपत्ति और यश की प्राप्ति होगी. ऐसे व्यक्ति को अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुड़ जरूर खाना चाहिए.
उभयचारी राजयोग: सूर्य के आगे और पीछे दोनों ही भाव में ग्रहों के उपस्थित होने से उभयचारी राजयोग बनता है, लेकिन आगे या पीछे चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होना चाहिए. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह राजयोग बनता है, वह व्यक्ति बहुत छोटी सी जगह से बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचता है. इस कारण यह व्यक्ति अपने प्रदेश और अपने देश में प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इस योग के बनने से प्रशासन और राजनीति के कई बड़े पद भी आसानी से हासिल हो जाते हैं.
वाशि राजयोग: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह का होना वाशि राजयोग बनता है, लेकिन ये ग्रह केतु, राहु और चंद्रमा नहीं होने चाहिए, तब जाकर शुभ फल की प्राप्ति होती है. वाशि राजयोग के व्यक्ति को ज्ञानी, धनवान और बुद्धिमान बनाता है और राजा की तरह जीवन यापन करते हैं. ऐसे व्यक्ति घर से दूर जाकर बहुत सी सफलताएं हासिल करते हैं और बहुत सी विदेशी यात्रा भी करते हैं. ऐसे व्यक्ति को लकड़ी के पलंग पर सोना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : August 08, 2023, 14:54 IST