Wednesday, July 3, 2024
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केजरीवाल के मुफ्त मॉडल के खिलाफ नीतीश कुमार, 2024 मैं कैसी होगी विपक्ष की शक्ल?


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गुजरात विधानसभा में आम आदमी पार्टी इस बार भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी बनकर उभर रही है। दिल्ली और पंजाब के बाद वह अन्य राज्यों में भी अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है। जानकारी के मुताबिक आप राजस्थान में भी चुनाव लड़ने को तैयार है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि 2024 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की अहमियत कम नहीं होगी। दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए से अलग होने के  बाद विपक्ष को मजबूत करने और भाजपा के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को इकट्ठा करने की मुहिम में लगे हैं। हालांकि नीतीश कुमार के बयानों से साफ हो गया है कि उनकी गोलबंदी में अरविंद केजरीवाल की जगह नहीं होगी। 

फ्री रेवड़ी पर नीतीश कुमार का तंज

गुजरात के चुनाव में अरविंद केजरीवाल फ्री बिजली की बात खूब कर रहे हैं. वह दिल्ली और पंजाब का उदाहरण भी दे रहे हैं। इसी बीच नीतीश कुमार ने मुफ्त बिजली को लेकर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर तंज किया है। उन्होंने कहा कि जनता को फ्री में बिजली देने का कोई मतलब नहीं है। फ्री में मिलने से बिजली का दुरुपयोग होने लगता है। अब साफ नजर आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार का सुर-ताल मिलने वाला नहीं है। एक तरफ अरविंद केजरीवाल फ्रीबीज के हिमायती हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार इसे बेमतलब बताते हैं। 

ऐसा पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा है। इससे पहले जब अरविंद केजरीवाल ने भारतीय नोट पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने की बात की थी तब भी नीतीश कुमार इस पर हंसे थे। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने हंसते हुए कहा था, लोग क्या-क्या कहते रहते हैं। इस हिसाब से कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल को जोड़ने का खयाल मन से निकाल दिया है। कुछ महीने पहले नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में मुलाकात भी की थी। लेकिन उनके बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। बाद में अरविंद केजरीवाल ने ही स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी ऐसा गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे जो भाजपा को हराने के लिए बनाया गया हो।

कितना सफल होंगे नीतीश?

नीतीश कुमार ने 2024 के चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने सोनिया गांधी, शरद पवार, केसीआर समेत कई दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है। हालांकि अभी क्लियर नहीं है कि वह अपनी मुहिम में कितना कामयाब होंगे। ममता बनर्जी से लेकर केसीआर तक भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं। हालांकि बात करें कांग्रेस की तो पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि उसके छाते के नीचे बाकी दलों को आना होगा। अब देखना यह है कि कौन-कौन से दल कांग्रेस की अगुआई में चुनाव लड़ने के लिए तैयार होंगे। 

कैसी होगी विपक्षी एकता की शक्ल?

नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की कवायद कितनी सफल होगी, यह स्पष्ट नहीं है। इस समय एआईएमआईएम भी सभी राज्यों में अपनी किस्मत आजमा रही है। उसके पास मुस्लिमों का बड़ा वोट बैंक भी है। लेकिन नीतीश कुमार और ओवैसी एक दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं। संभव है कि ओवैसी सेक्युलर गठबंधन में शामिल ना हों। वहीं बसपा चीफ मायावती भी विपक्ष के साथ आने का कोई संकेत नहीं दे रही हैं। और ना ही नीतीश कुमार इसके लिए प्रयास करते दिख रहे हैं। मौजूदा हालात में विपक्षी एकता की जो शक्ल नजर आ रही है उसमें ओवैसी, मायावती और अरविंद केजरीवाल नजर नहीं आ रहे हैं। 


 



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