
[ad_1]
नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जेल महानिदेशक ने कैदियों के वैवाहिक मुलाकात के अधिकार के संबंध में अपने गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है. जेलों के संदर्भ में वैवाहिक मुलाकातों का मतलब है कि एक कैदी को अपने जीवनसाथी के साथ अकेले में समय बिताने की इजाजत दी जाए, जिससे शारीरिक संबंध और बच्चे पैदा करने की अनुमति मिलती है.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ को बताया गया कि आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए प्रस्ताव को गृह मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. सरकार ने इसके लिए छह सप्ताह का समय मांगा है. कैदी और उनके पति या पत्नी के मौलिक अधिकार के रूप में जेल में वैवाहिक मुलाकातों की घोषणा के लिए 2019 में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये दलीलें दी गईं.
इसमें जेलों में बंद कैदियों को वैवाहिक मुलाक़ात का अधिकार प्रदान करने के मकसद से जरूरी व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिका में दिल्ली जेल नियम, 2018 के नियम 608 को चुनौती दी गई है, जो इस बात की इजाजत देता है कि जीवनसाथी से मुलाकात अथवा बातचीत के दौरान जेल का कोई अधिकारी वहां मौजूद हो.
कोर्ट ने 2019 में जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया था. बाद में डीजी जेल ने मामले का विरोध किया था. डीजी ने तर्क दिया कि यद्यपि वैवाहिक संबंधों को बनाए रखना एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह बंधनों से मुक्त नहीं है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया यानी दिल्ली जेल नियमों द्वारा विनियमित है.
.
Tags: DELHI HIGH COURT, Tihar jail
FIRST PUBLISHED : October 13, 2023, 22:38 IST
[ad_2]
Source link