Monday, July 8, 2024
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कैसे करें Deepfake वीडियोज की पहचान, कैसे रहे सुरक्षित; ये टिप्स कर सकते हैं मदद


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Deepfake वीडियोज, इंटरनेट का नया कारनामा जो बेहद चर्चा में है। पॉपुलर एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना और कैटरीना कैफ भी इसकी शिकार हो चुकी हैं। इन हालिया घटनाओं के साथ ही AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल को लेकर भी डर खुलकर जाहिर किया जा रहा है। इधर, सरकार भी डीपफेक वीडियोज को लेकर अलर्ट मोड पर आ गई है।

पहले क्या होते हैं डीपफेक वीडियोज

AI तकनीक की मदद से किसी भी व्यक्ति के चेहरे और आवाज की जगह किसी दूसरे की आवाज और चेहरा फिट कर दिया जाता है। आमतौर पर साइबर अपराधी धोखाधड़ी के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। खास बात है कि इंटरनेट पर इस तरह की तकनीक आसानी से उपलब्ध है। मशहूर एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि आम सोशल यूजर्स भी इसका शिकार हो रहे हैं।

ऐसे कर सकते हैं डीपफेक वीडियोज की पहचान

डीपफेक को लेकर नियम और कानून बनाना सरकार का काम है, लेकिन थोड़ी सतर्कता से इंटरनेट यूजर भ्रमित होने से बच सकते हैं। AI की मदद से तैयार किए गए फर्जी वीडियोज को पहचानने का शुरुआती कदम नजर आ रहे शख्स की हावभाव और शारीरिक गतिविधिया देखना होता है। आमतौर पर ये असमान्य नजर आती हैं।

इसके अलावा डीपफेक वीडियोज में नजर आ रहे शख्स की शारीरिक बनावट को देखने पर भी आप अंदाजा लगा सकते हैं। वीडियो में सुनाई दे रही  आवाज को ध्यान से सुनेंगे, तो समझ आ सकता है कि वह उसके साथ लिपसिंक नहीं हो रहा है। कई बार डीपफेक वीडियोज में नजर आ रहे व्यक्ति का व्यवहार भी असामान्य लगता है।

अगर आप इंटरनेट के जानकार हैं, तो असली वीडियो का सोर्स भी पता करने की कोशिश कर सकते हैं। डीपफेक वीडियोज में ब्लर जैसी चीजों पर गौर करें। अगर संभव हो तो डीपफेक डिटेक्शन यानी पता करने वाले टूल्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

कैसे रहे सुरक्षित

डीपफेक से बचने का एक तरीका सोशल मीडिया पर साझा की जा रही जानकारी को सीमित करना भी है। अगर आप एक्टिव सोशल मीडिया यूजर हैं, तो अकाउंट सेटिंग को पब्लिक के बजाए प्राइवेट भी कर सकते हैं। इसके जरिए आपकी तरफ से शेयर किए गए फोटो और वीडियोज सिर्फ आपके जानकारों तक ही सीमित रह जाएंगे।

सरकार भी हुई एक्टिव

केंद्र ने X, इंस्टाग्राम और फेसबुक समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों को हटाने के लिये कहा है। एक आधिकारिक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘आईटी नियमों के उपबंध और सोशल मीडिया कंपनियों के दायित्वों का हवाला देते हुए सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को एक परामर्श जारी किया गया है।’



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