Short Sleeper: दुनियाभर में कई ऐसे लोगों के बारे में सुना-सुनाया जाता है, जो सिर्फ 3 या 4 घंटे ही सोते हैं. फिर भी पूरे दिन तरोताजा और ऊर्जा से भरे हुए रहते हैं. ऐसे लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे दिन के बाकी बचे हुए समय में बिना थकावट महसूस किए ज्यादा से ज्यादा काम करते हैं. मार्गरेट थैचर से लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कुछ ऐसी ही बातें कही जाती हैं. आपने अपने आसपास भी कुछ ऐसे लोगों को देखा होगा, जिनको बहुत कम नींद आती है. जब लोग नींद ले रहे होते हैं तो ऐसे लोग या तो कुछ पढ़ रहे होते हैं, अपना मनोरंजन कर रहे होते हैं या कुछ ना कुछ काम कर रहे होते हैं.
सवाल ये उठता है कि कुछ लोग कैसे बहुत कम नींद के बाद भी एकदम फ्रेश और फिट रहते हैं. फ्लोरिडा के मियामी में रहने वाली और बहुत कम सोने वाली सेवानिवृत्त मनोवैज्ञानिक एबी रॉस से जब पूछा गया कि आपके पास साल में 60 दिन अतिरिक्त हों तो आप क्या करेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे रात में केवल 4 घंटे की नींद की जरूरत होती है. इसलिए मेरे पास बहुत सारा काम करने के लिए बहत समय बचता है. हर दिन ढेर सारे अतिरिक्त घंटे उपलब्ध होना अद्भुत लगता है. मुझे ऐसा लगता है कि मैं एक जीवन में दो जिंदगियां जी सकती हूं. शोधकर्ताओं का कहना है कि रॉय जैसे कम सोने वाले लोगों को कभी भी सुस्ती महसूस नहीं होती है और न ही वे कभी सोते हैं. वे सुबह जल्दी उठते हैं और अपने दिन को पूरा करने के लिए उतावले रहते हैं.
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सोने के तरीके को प्रभावी बनाने के लिए करें बदलाव
कैसे कुछ लोगों की नींद कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है, जबकि कुछ लोग अपना आधा दिन झपकियां लेते हुए ही बिता देते हैं? क्या हम अपने सोने के तरीके को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए कुछ बदलाव कर सकते हैं? कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन फ्रांसिस्को में यिंग-हुई फू की प्रयोगशाला में एक महिला आई. उसने शिकायत थी कि वह हमेशा बहुत जल्दी उठती है. सबसे पहले फू ने सोचा कि ये महिला एक्सट्रीम मॉर्निंग लार्क है. ये ऐसे लोग होते हैं, जो जल्दी सोने जाते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं. इस पर महिला ने बताया कि वह आधी रात के आसपास सोने जाती है और सुबह 4 बजे उठ जाती है. इसके बाद भी पूरे दिन फ्रेश महसूस करती है. यही नहीं, उसके परिवार के कई सदस्यों का हाल कुछ ऐसा ही था.
कुछ लोगों की नींद कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है, जबकि कुछ लोग अपना आधा दिन झपकियां लेते हुए ही बिता देते हैं.
डीईसी-2 जीन और कम नींद के बीच क्या है संबंध
महिला की पूरी बात सुनने के बाद फू और उनके सहयोगियों ने परिवार के अलग-अलग सदस्यों के जीनोम की तुलना की. उन्होंने उन लोगों में मौजूद डीईसी-2 नाम के जीन में छोटे से बदलाव की खोज की. ये जीन उन लोगों में पाया जाता है, जो कम नींद लेते थे. वहीं, सामान्य नींद लेने वाले परिवार के सदस्यों में ये जीन नहीं पाया जाता है. ये जीन 250 असंबंधित स्वयंसेवकों में भी नहीं पाया गया था. जब टीम ने इसी उत्परिवर्तन को व्यक्त करने के लिए चूहों का प्रजनन कराया, तो रोडेंट्स भी कम सोए, लेकिन शारीरिक और संज्ञानात्मक काम दिए जाने पर उन्होंने सामान्य चूहों की तरह अच्छा प्रदर्शन किया.
अच्छी नींद नहीं लेने से कौन सी समस्याएं हो सकती हैं
आमतौर पर बहुत कम नींद लेने से स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और जीवन प्रत्याशा पर अहम प्रभाव पड़ता है. यह अवसाद और वजन बढ़ने का कारण बन सकता है. कम नींद आपको स्ट्रोक और मधुमेह के खतरे में डाल सकती है. फू के मुताबिक, नींद स्वस्थ जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अगर आप अच्छी नींद लेंगे तो कई बीमारियों से बच सकते हैं. यहां तक कि अच्छी नींद लेने पर आप डिमेंशिया से भी बचे रह सकते हैं. वह कहती हैं कि अगर आप किसी की दिन में केवल दो घंटे की नींद कम कर देते हैं, तो उनके संज्ञानात्मक काम करीब-करीब तुरंत ही खराब हो जाते हैं.
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हमारे लिए बेहतर नींद इतनी महत्वपूर्ण क्यों होती है?
नींद इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? यह अभी भी थोड़ा रहस्य ही बना हुआ है. आम सहमति है कि मस्तिष्क को कुछ हाउसकीपिंग और सामान्य रखरखाव के लिए नींद की जरूरत होती है, क्योंकि इसे दिन के दौरान ज्यादा समय नहीं मिलता है. जब हम सोते हैं, तो मस्तिष्क कोशिकीय क्षति की मरम्मत कर सकता है, दिनभर में जमा हुए विषाक्त पदार्थों को हटा सकता है, ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा दे सकता है और यादों को संजो सकता है. फू कहती हैं कि स्पष्ट रूप से डीईसी-2 उत्परिवर्तन वाले लोग कम समय में समान सफाई प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं. वे सोने में बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा कुशल होते हैं. अब सवाल ये उठता है कि वे इस प्रक्रिया को इतनी तेजी से कैसे कर लेते हैं?
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आमतौर पर बहुत कम नींद लेने से स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और जीवन प्रत्याशा पर अहम प्रभाव पड़ता है.
कम सोने वालों में सकारात्मक दृष्टिकोण होना है आम
फू कहती हैं कि डीईसी-2 उत्परिवर्तन की खोज के बाद बहुत से लोग दिन में केवल कुछ घंटे सोने का दावा करने के लिए आगे आए हैं. वह कहती हैं कि इनमें से ज्यादातर को अनिद्रा की समस्या थी. हम उन लोगों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, जिन्हें अनिद्रा की समस्या के कारण कम नींद आती है, बल्कि हम उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, जो कुछ घंटे सोते हैं और अच्छा महसूस करते हैं. फू ने जिन कम नींद लेने वालों का अध्ययन किया है, उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण आम है. वह कहती है कि ऐसे सभी लोग बहुत ऊर्जावान और बहुत आशावादी होते हैं. उनके लिए यह महसूस करना बहुत आम है कि वे जीवन में जितना संभव हो उतना काम करना चाहते हैं. हम निश्चित नहीं हैं कि यह उनके उत्परिवर्तन से कैसे संबंधित है?
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कम सोकर बचे समय का कैसे हो सकता है इस्तेमाल
रॉस फू के उस सांचे में फिट बैठती हैं, जिसमें लोग कम सोने के बाद भी पूरे दिन ऊर्जावान बने रहते हैं. रॉस कहती हैं कि जब मैं उठती हूं तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है. वह हर दिन चार से पांच घंटे की नींद ही लेती हैं. वह कहती हैं कि सुबह के 5 बजे का समय बहुत शानदार होता है. यह बहुत शांतिपूर्ण होता है और आप इस समय बहुत कुछ कर सकते हैं. मैं चाहती हूं कि उस समय ज्यादा से ज्यादा दुकानें खुली हों. मैं ऑनलाइन खरीदारी कर सकती हूं या पढ़ सकती हूं. मैं बाहर जा सकती हूं और किसी दूसरे के उठने से पहले व्यायाम कर सकती हूं या अन्य टाइम जोन में रहने वाले मित्रों से बात कर सकती हूं.
कम सोकर रॉस ने पूरी कीं 37 मैराथन, कई अल्ट्रा-मैराथन
रॉस की कम नींद के पैटर्न ने उन्हें ढाई साल में यूनिवर्सिटी पूरी करने की सहूलियत दी. साथ ही उन्हें कई नए कौशल सीखने का समय भी मिला. अपने पहले बेटे को जन्म देने के केवल तीन सप्ताह बाद रॉस ने एक सुबह ब्लॉक के चारों ओर दौड़ने का निर्णय लिया. इसमें उन्हें 10 मिनट लगे. अगले दिन उन्होंने फिर दौड़ लगाई. इस बार वह थोड़ा ज्यादा समय दौड़ीं. उन्होंने धीरे-धीरे दौड़ने का समय बढ़ाया और 3 साल एक महीने में 37 मैराथन पूरी कीं. इसके अलावा उन्होंने कई अल्ट्रामैराथन में भी हिस्सा लिया. वह कहती हैं कि मैं किसी के उठने से पहले जग सकती हूं और अपना व्यायाम कर सकती हूं.
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जब आप सोने के लिए कम समय देते हैं तो आपका शरीर नींद के लिए मिले समय का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करता है.
सुबह जल्दी उठना ही नींद को बेहतर बनाने का है तरीका
फू ने बाद में ऐसे कई अन्य परिवारों की जीनोम सीक्वेंसिंग की, जो कम नींद लेने वालों के मानदंड पर फिट बैठते हैं. उन्होंने जीन में केवल उन बदलावों का समझना शुरू किया, जो कम सोने के बाद भी बेहतर महसूस करने की प्रतिभा को जन्म देते हैं. वह कहती हैं कि सैद्धांतिक तौर पर कोई भी व्यक्ति कम नींद में बेहतर महसूस कर सकता है. उनके मुताबिक, अपनी नींद को बेहतर बनाने का सबसे असरदार तरीका सुबह उठने का समय तय करना है. क्या लोगों के लिए रात की बेहतर नींद का कोई शॉर्टकट है? एक स्वतंत्र नींद सलाहकार नील स्टैनली कहते हैं कि अपनी नींद में सुधार करने का सबसे शानदार तरीका सुबह उठने का समय तय करना है.
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उठने से पहले ही जगने की तैयारी शुरू करता है शरीर
स्टैनली का कहना है कि जब आपका शरीर जागने के लिए तय समय का आदी हो जाता है, तो वह सोने के लिए दिए गए समय का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल कर सकता है. अध्ययनों से पता चलता है कि आपका शरीर वास्तव में उठने से डेढ़ घंटे पहले ही जागने की तैयारी करना शुरू कर देता है. आपका शरीर नियमितता चाहता है. इसलिए यदि आप अपनी नींद के पैटर्न में कटौती और बदलाव करते हैं, तो आपके शरीर को पता नहीं चलेगा कि उसे जागने के लिए कब तैयार होना चाहिए या नहीं. वह कहते हैं कि आप नींद पर समाज के विचारों को नजरअंदाज करके भी अपना भला कर सकते हैं. यह सामाजिक दृष्टिकोण है कि कम सोना अच्छी बात है और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
ऊंचाई, जूते के आकार का नींद की जरूरत से संबंध
नील कहते हैं कि हम हमेशा कई कम सोने वाले प्रसिद्ध लोगों का उदाहरण लेते हैं. वास्तव में आपको कितनी नींद की आवश्यकता है, यह आनुवंशिक रूप से आपकी ऊंचाई या जूते के आकार से निर्धारित होता है. कुछ लोगों को बहुत कम नींद की जरूरत होती है. वहीं, कुछ को बेहतर महसूस करने के लिए 11 या 12 घंटे की नींद की जरूरत होती है. स्टैनली का कहना है कि नींद की समस्या वाले बहुत से लोगों को वास्तव में सोने में कोई समस्या नहीं होती है, बल्कि उनकी अपेक्षा होती है कि उन्हें एक निश्चित समय तक सोना चाहिए. उनके मुताबिक, अगर हम यह पता लगा सकें कि हम किस तरह की नींद लेते हैं और उसी के अनुसार अपना जीवन जीते हैं, तो इससे जीवन की गुणवत्ता में बहुत बड़ा अंतर आएगा.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2023, 15:47 IST