हाइलाइट्स
वर्ष 2022 में दिल्ली और आसपास की हवा में पीएम2.5 का स्तर एक साल पहले से 08 फीसदी कम हुआ
क्या है हमारे देश में सालाना हवा क्वालिटी का औसत पैमाना, जो WHO से पैमाने से काफी ज्यादा
आखिर किस वजह से दिल्ली में इस बार नवंबर और दिसंबर में ज्यादा प्रदूषण नहीं हुआ
गुजरा हुआ साल यानि वर्ष 2022 इसलिए दिल्ली और एनसीआर के लिए अच्छा रहा, क्योंकि पिछले 05 सालों में उसकी हवा सबसे साफ रही, जो अब दिल्ली के लिए बहुत दुर्लभ हो चुका है. क्योंकि दिल्ली की हवा के बारे में माना जाता है कि इस शहर और आसपास के इलाकों की हवा की क्वालिटी हमेशा प्रदूषण के दायरे में रहती है.
रिकॉर्ड कहते हैं कि वर्ष 2022 में सालाना तौर पर दिल्ली और आसपास के इलाकों में पीएम2.5 लेबल 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया. ये वर्ष 2017 के बाद सबसे बेहतरीन स्थिति है.
हालांकि हवा की बेहतर क्वलिटी का पैमाना सालाना तौर पर देश में 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर माना गया है. वहीं वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन का पैमाना 05 माइक्रोग्राम है. इस लिहाज से देखें दिल्ली की हवा राष्ट्रीय पैरामीटर 2.5 गुना ज्यादा रही तो डब्ल्यूएचओ के पैरामीटर से 20 गुना ज्यादा.
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
वर्ष 2021 में पीएम 2.5 का स्तर 107.8 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक लगातार दिल्ली और आसपास वायु प्रदूषण की स्थिति 100 माइक्रोग्राम से ऊपर ही थी. 2020 में इसमें कुछ गिरावट आई लेकिन 2021 में ये फिर बढ़ गया.
किस वजह से नवंबर दिसंबर में वायु प्रदूषण हुआ कम
वैसे इस बार पश्चिमी विक्षोभ के चलते नवंबर और दिसंबर में वायु प्रदूषण की स्थिति दूसरे सालों से कुछ बेहतर रही. पश्चिमी विक्षोभ के कम असर के कारण नवंबर और दिसंबर में चूंकि मौसम सूखा रहा. बारिश नहीं हुई. ना बादल रहे, ना कोहरा हुआ, इसी वजह से वायु प्रदूषण भी कम हुआ. मौसम विभाग ने भी माना कि शुष्क हवा के चलते हवा में प्रदूषण की स्थिति कम हो गई.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 के बाद इस साल पहली बार ऐसा हुआ कि दिसंबर में ‘खराब’ श्रेणी के दिन सबसे कम केवल 03 रहे. इसी तरह ‘बहुत खराब’ श्रेणी के दिन इन 06 सालों में सर्वाधिक 22 दर्ज हुए. ‘गंभीर’ श्रेणी के दिन 2017 के बाद पांच सालों में सबसे कम केवल दो रहे. माह के औसत एक्यूआइ की बात करें तो वह भी 2017 के बाद पांच सालों के दौरान सबसे कम केवल 318 रहा है.
पीएम 2.5 का मतलब कितना छोटा
पीएम-10 और पीएम 2.5 ही प्रदूषण फैलाने में सबसे बड़ा किरदार निभाते हैं. ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस के जरिए आसानी से हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और सेहत के दुश्मन बन जाते हैं.
आमतौर पर लोग इन कणों के बारे में नहीं जानते, लेकिन इससे बचाव के लिए इसे जानना बेहद जरूरी है. पीएम-2.5 का कण कितना छोटा होता है इसे जानने के लिए ऐसे समझिए कि एक आदमी का बाल लगभग 100 माइक्रोमीटर का होता है. इसकी चौड़ाई पर पीएम 2.5 के लगभग 40 कणों को रखा जा सकता है. आईए दोनों कणों के बारे में जानते हैं कि यह हमें कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?
क्या होता है पीएम 2.5 और पीएम 10 स्तर
पीएम 10: पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है. इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है.
पीएम 2.5: पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है. विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है.
कितना होना चाहिए पीएम-10 और 2.5
>>पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए.
>>पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है. इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : January 02, 2023, 13:59 IST