Monday, December 23, 2024
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कोरोना मरीजों के लिए अच्छी खबर, वरदान साबित होगी यह दवा-नई स्टडी


हाइलाइट्स

कोरोना के मरीजों को डॉक्टर पहले हल्की डोज लगाते थे. इससे स्थिति में सुधार नहीं होती थी.
अब स्टडी में कहा गया है कि एंटी-कॉगुलेंट की मध्यम डोज देने से बहुत फायदा होता

Anti-coagulants drug save life of corona patients: कोरोना को आए अब तीन साल हो गए हैं लेकिन अब भी कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से रुका नहीं है. कोरोना संक्रमण के कारण आज भी लोगों की मौत हो रही है. कोरोना संक्रमण के बाद गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. इस दौरान उसे खून को पतला करने वाली दवाई दी जाती है. लेकिन अब तक इस दवा की नियत डोज के बारे में पता नहीं था. डॉक्टर हल्की डोज लगाते थे. इससे स्थिति में सुधार नहीं होती थी और कुछ मरीजों की मौत हो जाती थी. अब एक नए अध्ययन में कहा गया है कि एंटी-कॉगुलेंट ड्रग यानी खून को पतला करने वाली दवा का मध्यम डोज अगर कोरोना के मरीजों को दिया जाए तो उसके मरने की आशंका बहुत कम हो जाएगी. अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना के गंभीर मरीजों को यदि एंटी-कॉगुलेंट की मध्यम खुराक दी जाए तो इस दवा के कारगर होने की संभावना 86 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.

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पहले दवा की डोज निर्धारित नहीं थी
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जो मरीज कोरोना संक्रमण के बाद गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती होते हैं, उसके खून में थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है. यानी शरीर के अंदर खून जमने लगता है. इस कारण मल्टी ऑर्गेन फेल्योर का जोखिम बढ़ जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. इस स्थिति में लगभग सभी मरीजों को खून को पतला करने वाली दवाई दी जाती है. लेकिन अब तक यह पता नहीं था कि इस दवा की कितनी खुराक मरीज को दी जानी चाहिए. अब अस्ट्रालासियान कोविड-19 ट्रायल (AustralaSian COVID-19 Trial (ASCOT) अध्ययन में इस दवा की खुराक की सीमा निर्धारित की गई. अध्ययन में कहा गया कि अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना के मरीजों को खून को पतला करने के लिए एंटी-कॉगुलेंट दवा की अच्छी-खासी खुराक की जरूरत होती है. इस अध्ययन को न्यू इंग्लैंड जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

86 प्रतिशत तक ज्यादा असरदार
अध्ययन को साबित करने के लिए शोधकर्ताओं ने विभिन्न स्तर पर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, भारत और नेपाल में फरवरी 2021 से मार्च 2022 के बीच 1500 मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल किया. जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के कार्यकारी निदेशक डॉ विवेकानंद झा ने बताया कि हमारे अध्ययन में अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों पर जब एंटी-कॉगुलेंट दवा की मध्यम खुराक का इस्तेमाल किया गया कि तो यह लो डोज की तुलना में 86 प्रतिशत अधिक कारगर साबित हुई. हालांकि जब हाई डोज दी गई तो यह कारगर साबित नहीं हुआ. इस नतीजे से कोरोना मरीजों के इलाज की दिशा बदल जाएगी. मध्यम खुराक के बाद कोरोना के मरीज अब पहले से ज्यादा ठीक होंगे और उनमें ऑर्गेन फेल्योर की आशंका भी घट जाएगी. हालांकि इस स्थिति में मरीज की सुरक्षा और प्रभावकारिता की दृष्टि से और अध्ययन करने की जरूरत होगी.

Tags: Corona, Health, Health tips, Lifestyle



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