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हाइलाइट्स
गंध और स्वाद का खत्म होना वास्तव में अच्छा है, क्योंकि यह मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत है
स्वाद और गंध खोने वाले मरीजों में शत प्रतिशत कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई
Good news for Covid survivor: कोरोना ने एक बार फिर से कोहराम मचाना शुरू कर दिया है. देश में फिर से कोरोना प्रोटकॉल का पालन करने के लिए कहा गया है. ऐसे में हर तरफ जहां कोरोना मरीजों के लिए हमेशा बुरी खबर आती है, वहीं एक अच्छी खबर भी आई है. अच्छी खबर यह है कि जिस कोरोना के मरीजों ने स्वाद और गंध जाने की समस्या झेली है उसमें मजबूत इम्यूनिटी देखा जा रहा है. यानी ऐसे मरीजों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी मजबूत हुई है. नई रिसर्च में दावा किया गया है कि कोविड से बचे हुए लोगों में गंध और स्वाद का खत्म होना वास्तव में अच्छा है, क्योंकि यह मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत है. गौरतलब है कि महामारी की शुरुआत में अधिकांश लोगों की स्वाद और गंध की क्षमता चली जाती थी लेकिन वैक्सीन लगने के बाद मरीजों की तरफ से यह शिकायतें बहुत कम ही आती है.
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दोगुना हो गई एंटीबॉडी
मिंट में छपी खबर के मुताबिक अमेरिकी की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में यह अध्ययन किया गया है जिसे PLOS ONE जर्नल में प्रकाशित किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि जिस कोविड के बचे हुए लोगों ने स्वाद और गंध जाने का अनुभव किया था, उनमें इंफेक्शन के लंबे समय बाद एंटीबॉडी दोगुना हो गई. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में महामारी की शुरुआत में कोरोना से संक्रमित हुए 306 वयस्कों के खून का परीक्षण किया. कोरोना से संक्रमित इन लोगों में एक तिहाई ने कहा कि उनका संक्रमण के समय गंध और स्वाद की क्षमता चली गई थी. इन लोगों में संक्रमण खत्म होने के दो सप्ताह बाद एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. कोविड एंटीबॉडी का लेवल समय के साथ कम हो जाता है. इसलिए जो लोग संक्रमित होते हैं उनमें धीरे-धीरे एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव होती जाती है.
शत प्रतिशत बन गई एंटीबॉडी
जिन लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. इनमें से 176 में कोविड के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी विकसित हो गया जबकि 90 की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई. जब इस रिजल्ट का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण के समय स्वाद और गंध चली गई थी, उनमें कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो गई लेकिन जिन लोगों ने स्वाद या गंध जाने की शिकायत नहीं की, उनमें सिर्फ आधे लोगों में ही कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई. इसका मतलब यह हुआ है कि जिन लोगों ने कोरोना संक्रमण के दौरान स्वाद और गंध जाने का अनुभव किया, उनमें शत प्रतिशत कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है लेकिन जिन लोगों की स्वाद या गंध की क्षमता नहीं गई थी, उन लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनने की संभावन आधी रह जाती है.
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Tags: Corona, COVID 19, Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : December 22, 2022, 16:15 IST
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