हाइलाइट्स
लॉन्ग कोविड के मरीजों में सिरदर्द, बेचैनी, सुगंध व स्वाद का जाना आम बात है.
नींद में चलने या बेचैनी महसूस करने की समस्या महीनों तक बनी रह सकती है.
नई दिल्ली. कोरोना के लक्षणों में स्वाद और सुगंध का अहसास नहीं होने को अब ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती. इसके बाद भी ये लंबी अवधि के कोविड के लक्षणों में सबसे ज्यादा अहम है. एक नए अध्ययन के मुताबिक, लॉन्ग कोविड के मरीजों में से एक तिहाई को सुगंध का अहसास खत्म हो जाता है. वहीं, हर पांचवें मरीज को स्वाद आना बंद हो जाता है. इसी अध्ययन में पता चला है कि लॉन्ग कोविड मरीजों के शारीरिक संबंध बनाने में भी बाधा बन रहा है. काफी मरीज नींद में चलने की बीमारी का शिकार होने की शिकायत भी कर रहे हैं.
ब्रिटेन की ईस्ट एंजलिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम कोविड और पैरोस्मिया के संबंधों पर अध्ययन कर रही है. ये अध्ययन जर्नल इंटरनेशनल फोरम ऑफ एलर्जी एंड रायनोलॉजी में प्रकाशित किया गया है. टीम के मुख्य शेधकर्ता कार्ल फिल्पो ने बताया कि लॉन्ग कोविड एक जटिल स्थिति है. ये स्थिति या तो कोरोना के दौरान या उसके बाद बनती है. अगर कोरोना के किसी मरीज में लक्षण 12 सप्ताह से ज्यादा तक रह जाते हैं तो उसे लॉन्ग कोविड का मरीज मान लिया जाता है.
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स्वाद व सुगंध का जाना डालता है बुरा असर
कार्ल ने बताया कि लॉन्ग कोविड के लक्षणों में सिरदर्द, बेचैनी, सुगंध व स्वाद का जाना शामिल हैं. शुरुआती संक्रमण के बाद नींद में चलने या बेचैनी महसूस करने की समस्या कई महीनों तक बनी रह सकती है. यही नहीं मरीज की यादाश्त पर भी असर पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि अध्ययन में शामिल कोविड के हर तीसरे मरीज ने बताया कि अब उसे सुगंध महसूस नहीं होती है. वहीं, हर पांचवें मरीज के मुताबिक, उसे किसी भी चीज का स्वाद अब नहीं आता है. ये बहुत बड़ी समस्या है क्योंकि स्वाद व सुगंध का जाना जीवन पर काफी असर डालता है.
लॉन्ग कोविड के कारण लोगों में संबंध बनाने की इच्छा घट रही है.
शारीरिक संबंध को लेकर बढ़ रही अनिच्छा
लीड रिसर्चर फिल्पो ने कहा कि पिछले अध्ययन के मुताबिक, कोरोना के कारण जिन लोगों की सुगंध की क्षमता चली गई, उनमें अवसाद, बेचैनी, एकांत में रहने की आदत के साथ ही निजी संबंधों में भी समस्याओं की दर बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इससे जिंदगी के हर पहलू पर बुरा असर पड़ता है. इससे व्यक्तिगत साफ सफाई से लेकर शारीरिक संबंध बनाने को लेकर अनिच्छा का भाव पैदा होने लगता है. इससे लोगों के निजी संबंधों में दरार पड़ रही है. इस अध्ययन में 3,60,000 लोगों को शामिल किया गया था.
कई मरीजों को खुद पता चला, लॉन्ग कोविड है
अध्ययन में शामिल किए गए लोगों से 10,431 मरीजों में लॉन्ग कोविड की समस्या पाई गई. जब उनसे बात की गई तो पता चला कि करीब 3 फीसदी लोगों को खुद ही लॉन्ग कोविड से ग्रस्त होने के बारे में पता चल चल गया था. अगर ब्रिटेन की कुल जनसंख्या के आधार पर इसकी गणना की जाए तो देश में करीब 18 लाख लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं. कुछ दूसरे जानकारों का मानना है कि कोविड-19 ने विवाहित जोड़ों के निजी जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है.
कैसे ट्रिगर होता है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन इश्यू
कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद शारीरिक थकावट, कमजोरी और अन्य बीमारियां व्यक्ति के इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की बीमारी को ट्रिगर कर सकती हैं. वहीं, संक्रमण के डर के कारण भी लोगों में संबंध बनाने की इच्छा घट गई है. द वीक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्सुअल रेस्पॉन्स उत्तेजना और कामोत्तेजना पर निर्भर होता है. काम का बोझ, बदलती जीवनशैली, संक्रमण का डर व तनाव, अवसाद व मनोविकृति ने कोरोना काल में लोगों में अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा घटा दी है.
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2022, 15:20 IST