नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए द्वारा ध्वस्त की गई 600 साल पुरानी मस्जिद में शब-ए-बारात मनाने की अनुमति देने की याचिका खारिज कर दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि स्थानीय लोगों को उस भूमि पर शब-ए-बारात मनाने की अनुमति दी जाए जहां कभी 600 साल पुरानी अखूनजी मस्जिद, कब्रिस्तान और मदरसा खड़ा था. इस साल 30 जनवरी को डीडीए ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था. दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर रविवार 25 फरवरी को सूर्यास्त से 30 मिनट पहले से सोमवार, 26 फरवरी को सूर्योदय के 30 मिनट बाद तक की अवधि के दौरान स्थानीय लोगों को इस जमीन में प्रवेश करने की अनुमति मांगी.
‘बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस स्तर पर अदालत कोई निर्देश पारित करने के लिए इच्छुक नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि ‘बेशक अब तक विचाराधीन साइट डीडीए के कब्जे में है और यह अदालत मुख्य रिट याचिका के साथ जुड़ी हुई है, जिस पर 7 मार्च को सुनवाई होनी है. इस स्तर पर यह अदालत वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के तहत कोई भी निर्देश पारित करने का इच्छुक नहीं है. इसलिए आवेदन खारिज कर दिया जाता है.’ महरौली में अखूनजी मस्जिद और बहरुल उलूम मदरसे को 30 जनवरी की सुबह डीडीए ने ध्वस्त कर दिया गया था. स्थानीय लोगों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण लगभग 600-700 साल पहले दिल्ली सल्तनत काल के दौरान किया गया था.
दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति आमने-सामने
5 फरवरी को दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति के अदालत में याचिका दायर करने के बाद हाईकोर्ट ने उस जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जहां मस्जिद थी. जब मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आया, तो वकील शम्स ख्वाजा दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की ओर से पेश हुए और दलील दी कि स्थानीय लोग पीढ़ियों से मस्जिद में शब-ए-बारात मनाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि शब-ए-बारात पर वे लोग मृतकों के प्रति सम्मान जताना चाहते हैं. इस आवेदन का दिल्ली विकास प्राधिकरण ने विरोध किया था. दिल्ली वक्फ बोर्ड (दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति से अलग) ने भी याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास जमीन पर कोई अधिकार नहीं है. कोर्ट ने दलीलों पर विचार किया और आवेदन खारिज कर दिया. इसमें कहा गया है कि मुख्य याचिका 7 मार्च को सूचीबद्ध की जाएगी, जो पहले तय की गई तारीख थी.
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FIRST PUBLISHED : February 23, 2024, 22:13 IST