
[ad_1]
हाइलाइट्स
अध्ययन के मुताबिक 10 प्रतिशत हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज स्टेटिन नहीं लेते जबकि कुछ को स्टेटिन लेने से मसल्स में दर्द करने लगता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि नेक्सलेटॉल कार्डियोवैस्कुलर जटिलताओं को कम करने में मदद करती है
New Drug Reduced Risk of Heart Attack:आधुनिक जीवनशैली और शिथिल दिनचर्या के कारण आज अधिकांश लोगों को हाई ब्लड प्रेशर समेत दिल से जुड़ी कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ महीनों से हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ते दिख रहे हैं. युवा उम्र में भी लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नई दवा को स्टेटिन के विकल्प के रूप में चिन्हित किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह दवा हार्ट अटैक को खतरे को बहुत कम कर देती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल को नीचे ले आती है. रिसर्च में इस दवा के असर को साबित किया गया है. इस दवा का नाम नेक्सलेटॉल है. हालांकि नेक्सलेटॉल (Nexletol) स्टेटिन नहीं है.
स्टेटिन कुछ केमिकल का एक ग्रुप होता है जिसका इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जाता है. हालांकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं. लेकिन नई दवा नेक्सलेटॉल स्टेटिन नहीं है. इसलिए नई दवा से किसी तरह का साइड इफेक्ट्स भी नहीं है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नेक्सलेटॉल कार्डियोवैस्कुलर जटिलताओं को कम करने में मदद करती है और कोलेस्ट्रॉल के जो बीमारियां पैदा होती है, उनका जोखिम भी घटा देती है.
नई दवा से लाखों लोगों का फायदा
ग्लोबल डायबेट्स कम्युनिटी के अनुसार परंपरागत रूप से हाई कोलेस्ट्रॉल में स्टेटिंस लेने की सलाह दी जाती है. हालांकि इन दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण लाखों लोग इन दवाओं को लेने में सक्षम नहीं है या जानबूझकर नहीं लेते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि नेक्सलेटॉल रासायनिक रूप से बेमपेडोएक एसिड (bempedoic) है. यह भले ही स्टेटिन नहीं है लेकिन यह जिस तरह से स्टेटिंस वाली दवाई काम करती है, उसी तरह से करती है. प्रमुख शोधकर्ता डॉ. स्टीवन निसेन ने बताया कि इसमें कोई शक नहीं कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए स्टेटिंस आज भी खास दवा है. लेकिन जो लोग इस दवा को नहीं लेते हैं उसे अन्य दवाइयों से कोलेस्ट्रॉल कम करना बहुत ही मुश्किल काम है लेकिन नई दवा ने उम्मीद जगाई है. इस दवा के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत सकारात्मक असर पड़ने की संभावना है. यानी इस दवा से लाखों लोगों को फायदा होगा.
नई दवा से मसल्स में पेन नहीं होता
जब शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है तो यह धमनियों में चिपककर धमनियों की दीवाल को पतली करने लगती है. इससे हार्ट तक खून का प्रवाह पहुंचने में समस्या खड़ी होती है और इस कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है. क्रेस्टर और लिपिटर जैसी स्टेटिन लिवर को ज्यादा एलडीएल बनाने से रोकती है जिसके कारण हार्ट से संबंधित बीमारियों के बढ़ने का जोखिम कम होने लगता है. लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक 10 प्रतिशत हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज स्टेटिन नहीं लेते जबकि कुछ लोगों को स्टेटिन लेने से मसल्स में दर्द करने लगता है. नई दवा नेक्सलेटॉल लेने से मसल्स में पेन नहीं होता है और लिवर को भी बैड कोलेस्ट्रॉल बनाने से रोकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : March 20, 2023, 06:40 IST
[ad_2]
Source link