दिल की सेहत के प्रति सजग लोग बैड कोलेस्ट्रॉल घटाने को तमाम जतन करते हैं। कानपुर में मेडिकल कॉलेज की एक स्टडी के निष्कर्ष जानना ऐसे लोगों के लिए जरूरी है। स्टडी बता रही है कि शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा कमी लिवर को बीमार कर देती है। ऐसे मरीज चाहे जितनी धूप लें, उनका लिवर विटामिन डी बनाने में नाकाम होता चला जाता है। शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है और प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है।
लिवर में कॉपर और आयरन का जमाव होने लगता है। इसे ही विल्सन डिजीज कहते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने यह स्टडी की है। विशेषज्ञों के मुताबिक पहली बार बैड कोलेस्ट्रॉल के घटने से मरीजों पर प्रतिकूल असर पर अध्ययन किया गया है। दरअसल कोलेस्ट्रॉल बढ़े तो पलकों पर कुछ उभार दिखते हैं लेकिन कोलेस्ट्रॉल घटने पर शरीर में कोई लक्षण नहीं उभरता। 18 से 60 साल तक की उम्र के 200 मरीजों पर दो साल तक चली स्टडी में ऐसे मरीजों को स्वस्थ करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं।
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ऐसे की स्टडी
– चाइल्ड पुग टेस्ट के साथ पैथोलॉजी टेस्ट और बीएमडी टेस्ट किए
– इसमें 83 फीसदी पुरुष और 17 फीसदी महिलाएं शामिल रहीं
– जीएसवीएम की स्टडी में खुलासा बैड कोलेस्ट्रॉल अधिक घट जाए तो विटामिन-डी नहीं बना पाता लिवर
स्टडी के निष्कर्ष
– लिवर में कॉपर-आयरन ज्यादा होने से विल्सन डिसीज मिली
– इसमें चाहे जितनी देर धूप में रहें, विटामिन-डी नहीं बनाता
– लिवर में वैलेरी चैनल सिकुड़े मिले, पीलिया-सिरोसिस के खतरे
– बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़े तो पलकों पर निशान लेकिन घटे तो कोई चिह्न नहीं
बैड कोलेस्ट्रॉल के मानक
– टोटल कोलेस्ट्रॉल 200 एमजी /डीएल
– ट्राइग्लिसराइड्स 150 एमजी/डीएल
– एलडीएल 100 एमजी /डीएल
– वीएडीएल 130 एमजी /डीएल
(मरीजों में इससे काफी कम बैड कोलेस्ट्राल मिला)
जीएसवीएम, मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर, डॉ. एसके गौतम ने कहा कि पहली बार मेडिकल कॉलेज ने बैड-गुड कोलेस्ट्रॉल और विटामिन डी के लगातार घटने पर रिसर्च कर नए परिणाम और नए तथ्य सामने रखे हैं। ऐसे में मरीजों का इलाज करना आसान हो जाएगा।